Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 548
________________ भगवती सूत्र-श. 3.दव को जानना और देखना १०६५ भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या अविशद्ध लेश्या वाला देव, अनुपयोग युक्त आत्मा से अविशुद्ध लेश्या वाले देव को या देवी को या अन्यतर को अर्थात् देव और देवी में से किसी एक को जानता और देखता है ? ७ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ- समर्थ नहीं है। २-इसी तरह अविशुद्ध लेश्यावाला देव, अनुपयुक्त आत्मा से, विशुद्ध लेश्या वाले देव को, देवी को या अन्यतर को जानता है और देखता है ?३-अविशुद्ध लेश्या वाला देव, उपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्ध लेश्या वाले देव को इत्यादि ?४-अविशुद्ध लेश्या वाले देव, उपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्ध लेश्या वाले देव को इत्यादि ? ५-अविशुद्ध लेश्या वाला देव, उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्ध लेश्या वाले देव को इत्यादि । ६-अविशुद्ध लेश्या वाला देव, उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्ध लेश्या वाले वाले देव को इत्यादि। ७-विशुद्ध लेश्या वाला देव, अनुपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्ध लेश्या वाले देव को इत्यादि । ८-विशुद्ध लेश्या वाला देव, अनु. पयुक्त आत्मा द्वारा विशद्ध लेश्या वाले देव, देवी या अन्यतर को जानता और देखता है ? इन आठों प्रश्नों का उत्तर यह है कि-यह अर्थ समर्थ नहीं है अर्थात् नहीं जानता और नहीं देखता है । ८ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या विशुद्ध लेश्यावाला देव, उपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्ध लेश्या वाले वाले देव, देवी और अन्यतर को जानता और देखता है ? ८ उत्तर-हां गौतम ! जानता और देखता है । ९ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या विशुद्ध लेश्यावाला देव, उपयुक्त आत्मा द्वास विशुद्ध लेश्या वाले देव, देवी या अन्यतर को जानता और देखता है ? ९ उत्तर-हां गौतम ! जानता और देखता है । १० प्रश्न-हे भगवन् ! क्या विशुद्ध लेश्या वाला देव, उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा अविशुद्व लेश्या वाले देवादि तो जानता देखता है ? तथा विशुद्ध लेश्या वाला देव, उपयुक्तानुपयुक्त आत्मा द्वारा विशुद्ध लेश्या वाले देवादि को जानता और देखता है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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