Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 549
________________ १.६६ भगवती सूत्र-श. ६ उ. १० दुख सुख प्रदर्शन अशक्य १० उत्तर-हां गौतम ! जानता और देखता है। पहले जो आठ भंग कहे गये हैं, उनमें नहीं जानता और नहीं देखता है । पीछे जो चार भंग कहे गये हैं, उनमें जानता और देखता है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। विवेचन-देव का अधिकार होने के कारण यहाँ भी देव के सम्बन्ध में ही कहा जाता है । यहाँ अविशुद्ध लेश्या का अर्थ विभंग ज्ञान समझना चाहिये । ५ 'अविशुद्ध लेश्या वाला (विभंगज्ञानी) देव २ अनुपयुक्त आत्मा द्वारा । ३ अविशुद्ध लेश्या वाले देवादि को, इन तीन पदों के बारह विकल्प होते हैं। जो ऊपर मूल पाठ में बतला दिये गये हैं। पहले जो आठ विकल्प बतलाये गये हैं, उनमें कथित देव नही जानता और नहीं देखता है । क्योंकि आठ विकल्पों में से पहले के छह विकल्पों में कथित देव का मिथ्यादृष्टिपन कारण है और शेष दो विकल्पों में कथित देव का अनुपयुक्तपन कारण है। पीछे कहे हुए चार (नौवां, दसवां, ग्यारहवां और बारहवां) विकल्पों में जानता और देखता है, क्योंकि इन विकल्पों में कथित देव का सम्यग्दृष्टिपन कारण है । ग्यारहवें और बारहवें विकल्प में उपयुक्तानुपयुक्तपन में उपयुक्तपन-सम्यग्ज्ञान कारण है । इसलिये वह जानता और देखता है। ॥ इति छठे शतक का नौवां उद्देशक समाप्त ॥ शतक उद्देशक १० दुःख सुख प्रदर्शन अशक्य १ प्रश्न-अण्णउत्थिया णं भंते ! एवं आइ.खते, जाव-परूवेंति जावइया रायगिहे णयरे जीवा, एवइयाणं जीवाणं णो चकिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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