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भगवती सूत्र
-- . ५ उ ८ निग्रंथी पुत्र अनगार के प्रश्न
सपएमा विमाहिया भावादेसेणं सपएमा विसेसाहिया ।
- तरणं से गारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं बंद णमंमइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं अहं सम्मं विणणं भुज्जो भुज्जो खामेइ, खामित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे जाव - विहरइ |
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कठिन शब्दार्थ - भुज्जो भुज्जो - बारबार ।
भावार्थ ३ प्रश्न - - हे भगवन् ! द्रव्यादेश से, क्षेत्रादेश से, कालादेश से और भावादेश से सप्रदेश और अप्रदेश पुद्गलों में कौन किससे कम, ज्यादा, तुल्य और विशेषाधिक हैं ?
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३ उत्तर - हे नारदपुत्र ! भावादेश से अप्रदेश पुद्गल सब से थोडे हैं । उनसे कालादेश की अपेक्षा अप्रदेश पुद्गल असंख्य गुणा हैं। उनसे द्रव्यादेश की अपेक्षा अप्रदेश पुद्गल असंख्य गुणा हैं। उनसे क्षेत्रादेश की अपेक्षा अप्रदेश पुद्गल असंख्यगुणा है । उनसे क्षेत्रादेश से सप्रदेश पुद्गल असंख्यगुणा हैं। उनसे द्रव्यादेश की अपेक्षा सप्रदेश पुद्गल विशेषाधिक हैं। उनसे कालादेश की अपेक्षा प्रदेश पुद्गल विशेषाधिक हैं । और उनसे भावादेश की अपेक्षा सप्रदेश पुद्गल विशेषाधिक हैं ।
इसके बाद नारदपुत्र अनगार ने निग्रंथी पुत्र अनगार को वन्दना नमस्कार किया । वन्दना नमस्कार करके अपनी कही हुई मिथ्या बात के लिये उनसे विनय पूर्वक बारंबार क्षमायाचना की क्षमायाचना करके संयम और तप द्वारा अपनी आत्मा को भावित करते हुए यावत् विचरने लगे ।
विवेचन - सातवें उद्देशक में स्थिति की अपेक्षा से पुद्गलों का कथन किया गया हैं । अब इस आठवें उद्देशक में उन्हीं पुद्गलों का प्रदेश की अपेक्षा कथन किया जाता है । द्रव्य की अपेक्षा परमाणुत्व आदि का कथन करना द्रव्यादेश कहलाता है । एक प्रदेशावगाढत्व ( एक प्रदेश में रहना ) इत्यादि का कथन क्षेत्रादेश कहलाता है । एक समय की स्थिति इत्यादि का कथन कालादेश कहलाता है, और एक गुण काला इत्यादि कथन भावादेश 'कहलाता है।
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