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भगवती सूत्र-श. ६ उ. ३ कर्मों के बंधक
वजाणं छण्हं, वेयणिजं आहारए बंधइ, अणाहारए भयणाए । आउए आहारए भयणाए, अणाहारए ण बंधइ ।
३१ प्रश्न–णाणावरणिजं किं सुहुमे बंधइ बायरे बंधइ, णोसहुमणोबायरे बंधइ ?
३१ उत्तर-गोयमा ! सुहुमे बंधइ, बायरे भयणाए, जोसुहुमणोबायरे ण बंधह, एवं आउयवजाओ सत्त वि, आउए सुहुमे, बायरे भयणाए त्ति, जोसुहुम-गोवायरे ण बंधइ ।
३२ प्रश्न–णाणावरणिजं किं चरिमे, अचरिमे बंधइ ? ३२ उत्तर-गोयमा ! अट्ठ वि भयणाए ।
कठिन शब्दार्थ-सागारोवउत्ते-साकार (ज्ञान के) उपयोग वाला, अणागारोवउत्तेअनाकार-निराकार (दर्शन) उपयोग वाला, णोसुहुमेणोबायरे-जो न तो सूक्ष्म है न बादर (बडे) हैं—ऐसे सिद्ध जीव, चरिम-जो अंतिम भव करेगा अर्थात् भवी ।
___ भावार्थ-२८ प्रश्न--हे भगवन् ! क्या मनयोगी, वचनयोगी, काययोगी और अयोगी-ये ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ?
.२८ उत्तर-हे गौतम ! मनयोगी, वचनयोगी और काययोगी ये तीनों ज्ञानावरणीय कर्म, कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं । अयोगी नहीं बांधते हैं। इसी प्रकार वेदनीय कर्म को छोड़कर शेष सात कर्म प्रकृतियों के विषय में कहना चाहिये । वेदनीय कर्म को मनयोगी, वचनयोगी और काययोगी बांधते हैं । अयोगी नहीं बांधते हैं।
२९ प्रश्न-हे भगवन् ! ज्ञानावरणीय कर्म, क्या साकार उपयोग वाले बांधते हैं, या अनाकार उपयोग वाले बाँधते हैं ?
२९ उत्तर-हे गौतम ! साकार उपयोग और अनाकार उपयोग-इन
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