Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 500
________________ भगवती सूत्र - श. ६ उ ५ कृष्णराजि वणस्सइकाइयत्ताए वा । भावार्थ - ३० प्रश्न - हे भगवन् ! या कृष्णराजियों में चन्द्र, सूर्य, ग्रहगण, नक्षत्र और तारा रूप हैं ? ३० उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है अर्थात् वहाँ ये नहीं हैं । ३१ प्रश्न---हे भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में चन्द्रप्रभा ( चन्द्रमा की कान्ति) और सूर्यप्रभा ( सूर्य की कान्ति ) है ? ३१ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है अर्थात् वहाँ ये नहीं हैं । १०१७ ३२ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णराजियों का वर्ण कैसा है ? ३२ उत्तर - हे गौतम ! कृष्णराजियों का वर्ण कृष्ण यावत् परम कृष्ण । तमस्काय की तरह भयंकर होने से देव भी क्षोभ को प्राप्त हो जाते हैं, यावत् इसको शीघ्र पार कर जाते हैं । ३३ प्रश्न - हे भगवन् ! कृष्णराजियों के कितने नाम कहे गये हैं ? ३३ उत्तर - हे गौतम! कृष्णराजियों के आठ नाम कहे गये हैं। यथा१ कृष्णराजि, २ मेघराज, ३ मघा, ४ माघवती, ५ वातपरिघा, ६ वातपरिक्षोभा ७ देवपरिघा और ८ देवपरिक्षोभा । ३४ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कृष्णराजियाँ पृथ्वी का परिणाम है, जल का परिणाम है, जीव का परिणाम है, या पुद्गल का परिणाम है ? ३४ उत्तर - हे गौतम ! कृष्णराजियाँ पृथ्वी का परिणाम है, किन्तु जल का परिणाम नहीं है तथा जीव का भी परिणाम है और पुद्गल का भी परिणाम है । ३५ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में सभी प्राण, भूत, जीव और सत्त्व, पहले उत्पन्न हो चुके हैं ? Jain Education International ३५ उत्तर - हाँ, गौतम ! अनेक बार अथवा अनन्तबार उत्पन्न हो चुके हैं, किन्तु बादर अप्कायपने, बादर अग्निकायपने और बादर वनस्पतिकायपने उत्पन्न नहीं हुए हैं । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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