Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 498
________________ भगवती सूत्र - श. ६ उ. ५ कृष्णराजि किसी कृष्णराज के पार तक तक पहुंचता है और किसी कृष्णराज के पार तक नहीं पहुंचता है । है गौतम ! कृष्णराजियाँ इतनी बडी हैं । है ? न - हे भगवन् ! २४ प्रश्न २४ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं हैं अर्थात् कृष्णराजियों में घर और दुकानें नहीं हैं । २५ प्रश्न - हे भगवन् ! २५ उत्तर - हे गौतम ! ग्रामादि नहीं हैं । क्या कृष्णराजियों में गृह और गृहापण ( दुकान ) १०१५ क्या कृष्णराजियों में ग्रामादि हैं ? Jain Education International यह अर्थ समर्थ नहीं है अर्थात् कृष्णराजियों में २६ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में महा मेघ संस्वेद को प्राप्त होते हैं, सम्मूच्छित होते हैं और वर्षा बरसाते हैं ? २६ उत्तर - हाँ, गौतम ! ऐसा होता हैं । २७ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या इनको देव करता है, असुरकुमार करता है, या नागकुमार करता ? २७ उत्तर - हे गौतम! देव करता है, किन्तु असुरकुमार या नागकुमार नहीं करता है । २८ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कृष्णराजियों में बादर स्तनित शब्द है ? २८ उत्तर - हे गौतम! महामेघों के समान इनका भी कथन करना चाहिए अर्थात् कृष्णराजियों में बादर स्तनित शब्द हैं और उसे देव करता है, किन्तु असुरकुमार या नागकुमार नहीं करता है । २९ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या कष्णराजियों में बादर अप्काय, बादर अग्निकाय और बादर वनस्पतिकाय है ? २९ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । यह निषेध विग्रहगति समापन्न जीवों के सिवाय दूसरे जीवों के लिए है । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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