Book Title: Bhagvati Sutra Part 02
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 482
________________ भगवती सूत्र - श ६ उ ५ तमस्काय fare अप्रत्याख्यान से निबद्ध आयुष्य वाले हैं, क्योंकि नैरविकादि में वास्तव में अविरत जीव ही पैदा होते हैं । इसके वाद संग्रह गाथा कही गई है। उसमें प्रत्याख्यान सम्बन्धी एक दण्डक और शेष तीन दण्डक, इस प्रकार कुल चार दण्डक ( जो कि इस सप्रदेश नामक चौथे उद्देशक में कहे गये हैं) का कथन किया गया है। ॥ इति छठे शतक का चौथा उद्देशक समाप्त ॥ शतक ६ उद्देशक ५ Jain Education International तमस्काय १ प्रश्न - किमियं भंते! 'तमुक्काए' ति पव्वुचर, किं पुढवी तमुक्काए त्तिपव्वुच्चर, आऊ तमुक्काए ति पव्वुच्चा ? १. उत्तर - गोयमा ! णो पुढवि तमुक्काए त्ति पव्वुच्चड़, आऊ तमुका ति पogs | २ प्रश्न - सेकेणट्टेणं ? २ उत्तर - गोयमा ! पुढविकाए णं अत्थेगइए सुभे देसं पगासेह, अत्थेगइए दे णो पगासेइ - से तेणट्टेणं । ३ प्रश्न - तमुक्काए णं भंते! कहिं समुट्ठिए, कहिं सष्णिट्टिए ? ९५९ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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