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भगवती सूत्र-श. ५ उ. ४ अनुत्तरोपपातिक देवों का मनोद्रव्य
जानते और नहीं देखते हैं।')
इसी तरह अनन्तरोपपन्नक और परम्परोपपन्नक तथा अपर्याप्त और पर्याप्त एवं उपयोग युक्त और उपयोग रहित, इस प्रकार के वैमानिक देव हैं। इनमें जो उपयोग युक्त हैं, वे जानते और देखते हैं। इसलिये ऐसा कहा गया है कि कितनेक वमानिक देव जानते और देखते हैं, तथा कितनेक नहीं जानते और नहीं देखते हैं।
अनुत्तरौपपातिक देवों का मनोद्रव्य
२९ प्रश्न-पभू णं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धि आलावं वा, संलावं वा करत्तए ?
२९ उत्तर-हंता, पभू ।
३० प्रश्न-से केणटेणं जाव-पभू णं अणुत्तरोववाइया देवा, जाव-करेत्तए ?
३० उत्तर-गोयमा ! जंणं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा अटुं वा हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा पुच्छंति, तं गं इहगए केवली अळं वा, जाव-वागरणं वा वागरेइ; से तेणठेणं । ___३१ प्रश्न-जं णं भंते ! इहगए चेव केवली अळं वा जाववागरेइ तं णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति पासंति ?
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