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भगवती सूत्र - श. ५ उ. ७ परमाणु का कम्पन
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-चउप्पएसिओ तहा पंचपएसिओ, तहा जाव-अणंतपएसिओ।
कठिन शब्दार्थ-एयइ- कम्पता है, वेयइ--विशेष कम्पता है, परिणमइ-परिणमता है, सिय-कदाचित् ।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या परमाणु पुद्गल कम्पता है ? विशेष कम्पता है ? यावत उन उन भावों को परिणमता है ?
१ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कम्पता है, विशेष कम्पता है और यावत् उन उन भावों को परिणमता है । कदाचित् नहीं कम्पता है, यावत् उन उन भावों को नहीं परिणमता है । -
२ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या द्विप्रदेशी स्कंध कम्पता है, यावत् परिणमता है।
२ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कम्पता है, यावत् परिणमता है। कदाचित् नहीं कम्पता है, यावत् नहीं परिणमता है । कदाचित् एक देश (भाग) कम्पता है, एक देश नहीं कम्पता है ।
३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या त्रिप्रदेशी स्कन्ध कम्पता है ?
३ उत्तर-हे गौतम ! कदाचित् कम्पता है, कदाचित् नहीं कम्पता है । कदाचित् एक देश कम्पता है और एक देश नहीं कम्पता है । कदाचित् एक देश कम्पता है और बहुत देश नहीं कम्पते हैं । कदाचित् बहुत देश कम्पते हैं और एक देश नहीं कम्पता है। __४ प्रश्न--हे भगवन् ! क्या चतुष्प्रदेशी स्कन्ध कम्पता है ?
४ उत्तर-हे गौतम ! १ कदाचित् कम्पता है, २ कदाचित् नहीं कम्पता, ३ कदाचित् एक देश कम्पता है और एक देश नहीं कम्पता है । ४ कदाचित् एकदेश कम्पता है, बहुत देश नहीं कम्पते हैं। ५ कदाचित् बहुत देश कम्पते हैं
और एक देश नहीं कम्पता है । ६ कदाचित् बहुत देश कम्पते हैं और बहुत देश नहीं कम्पते हैं।
जिस प्रकार चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के विषय में कहा गया है, उसी प्रकार पंच प्रदेशी स्कन्ध से लेकर यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक प्रत्येक स्कन्ध के लिये कहना चाहिये।
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