________________
भगवती सूत्र- ग. ५ उ. ७ बेइंद्रिय आदि का परिग्रह
८८७
स्तनितकुमारों तक कहना चाहिये।
जिस प्रकार नरयिकों के लिये कहा है, उसी प्रकार एकेन्द्रियों के विषय में भी कहना चाहिये
बेइंद्रिय आदि का परिग्रह
३२ प्रश्न-बेइंदिया णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा ?
३२ उत्तर-तं चेव जाव-सरीरा परिग्गहिया भवंति, बाहिरिया भंड-मत्तो वगरणा परिग्गहिया भवंति, एवं जाव-चउरिंदिया ।
३३ प्रश्न-पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते !०
३३ उत्तर-तं चेव जाव-कम्मा परिग्गहिया भवंति, टंका, कूडा, सेला, सिहरी, पब्भारा, परिग्गहिया भवंति, जल-थल-बिलगुहलेणा परिग्गहिया भवंति, उज्झर-णिज्झर-चिल्लल-पल्ललवप्पिणा परिग्गहिया भवंति, अगड-तडागदह-णइओ, वावि-पुक्खरिणी, दीहिया, गुंजालिया, सरा, सरपंतियाओ, सरसरपंतियाओ, बिलपंतियाओ परिग्गहियाओ भवंति; आरामु-जाणा, काणणा, वणा, वणसंडा, वणराईओ परिग्गहियाओ भवंति; देवउला-ऽऽसमपवा-थूभखाइय-परिखाओ परिग्गहियाओ भवंति, पागार-अट्ठालग-चरिय-दारगोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासाय-घर-सरणलेणआवणा परिग्गहिया भवंति; सिंघाडग-तिग-चक्क चच्चर-चउम्मुह
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org