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भगवती सूत्र-श. ५ उ. ७ हेतु अहेतु
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-पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा-हेरणा ण जाणइ जाव-हेउणा अण्णाणमरणं मरइ ।
५-पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेउं जाणइ, जाव-अहेडं केवलिमरणं मरह।
६-पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेउणा जाणह, जावअहेउणा केवलिमरणं मरइ।
७-पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेडं ण जाणइ, जाव-अहेडं छउमत्थमरणं मरइ।
८-पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा-अहेउणा ण जाणइ, जावअहेउणा छउमत्थमरणं मरइ।
सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति*
॥ पंचमसए सत्तमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ . ' कठिन शब्दार्थ-बुज्झह-श्रद्धता है, अभिसमागच्छइ-अच्छी तरह से प्राप्त करता है।
भावार्थ-१ पांच हेतु कहे गये हैं । यथा-हेतु को जानता है, हेतु को देखता है, हेतु को श्रद्धता है, हेतु को अच्छी तरह प्राप्त करता है और हेतु युक्त छमस्थ मरण-मरता है।
. २ पांच हेतु कहे गये हैं । यथा-हेतु से जानता है, यावत् हेतु से छप्रस्थ मरण मरता है।
३ पांच हेतु कहे गये हैं । यथा-हेतु फो नहीं जानता है, यावत् हेतु युक्त अज्ञान मरण मरता है।
४ पांच हेतु कहे गये हैं। यथा-हेतु से नहीं जानता हैं, यावत् हेतु से
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