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भगवती सूत्र – श. ५ उ. ७ परमाणु पुद्गलादि की संस्थिति ८७७
परमाणु पुद्गलादि की संस्थिति
१६ प्रश्न - परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? १६ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, एवं जाव - अणतपएसओ ।
१७ प्रश्न - एगपएसोगाढे णं भंते! पोग्गले सेए तम्मिं वा ठाणे, अण्णम्मि वा ठाणे कालओ केवच्चिरं होइ ?
१७ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं एगं समयं उकोसेणं आव लियाए असंखेजड़भागं, एवं जाव - असंखेज्जपए सोगाढे ।
१० प्रश्न - एगपए सोगाढे णं भंते ! पोग्गले णिरेए कालओ केवच्चिर होइ ?
१८ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं एगं समयं उकोसेणं असंखेजं काल; एवं जाव - असंखेजपरसोगाढे ।
कठिन शब्दार्थ - केवच्चिरं - कितने काल तक, एगपएसोगाढे - एक प्रदेश में रहा हुआ, सेए - सकम्प, तम्मि वा ठाणे - उस स्थान पर, निरेए – निष्कम्प |
भावार्थ - १६ प्रश्न - हे भगवन् ! परमाणु पुद्गल, काल की अपेक्षा कितने काल तक रहता है ?
१६ उत्तर - हे गौतम ! परमाणु पुद्गल, जघन्य एक समय तक रहता है और उत्कृष्ट असंख्य काल तक रहता है । इसी प्रकार यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक कहना चाहिए ।
१७ प्रश्न - हे भगवन् ! एक आकाश प्रदेशावगाढ़ (एक आकाश प्रदेश
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