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भगवती सूत्र-श. ५ उ.. परमाणु पुद्गलादि की स्पर्शना
नहीं करता, ४ बहुत देशों से एक देश को स्पर्श नहीं करता, ५ बहुत देशों से बहुत देशों को स्पर्श नहीं करता, ६ बहुत देशों से सर्व को स्पर्श नहीं करता, ७ सर्व से एक देश को स्पर्श नहीं करता, ८ सर्व से बहुत देशों को स्पर्श नहीं करता । किन्तु ९ सर्व से सर्व को स्पर्श करता है।
द्विप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ परमाणु पुद्गल सातवें और नववें इन दो विकल्पों से स्पर्श करता है । त्रिप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ परमाणु पुद्गल, उपरोक्त नव विकल्पों में से अन्तिम तीन विकल्पों (सातवें, आठवें
और नवमें) से स्पर्श करता है । अर्थात् सर्व से एक देश को स्पर्श करता है। सर्व से बहुत देशों को स्पर्श करता है और सर्व से सर्व को स्पर्श करता है। जिस प्रकार एक परमाणु पुद्गल द्वारा त्रिप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करने का कहा, उसी तरह चतुष्प्रदेशी स्कन्ध को, पंच प्रदेशी स्कन्ध को, यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करने का कहना चाहिये।
___१४ प्रश्न-दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोंग्गलं फुसमाणे० पुच्छा ? : १४ उत्तर-तईय णवमेहिं फुसइ, दुप्पएसिओ दुप्पएसियं फुसमाणो पढम-तईय-सत्तम-णवमेहिं फुसइ, दुप्पएसिओ तिप्पएसियं फुसमाणो आइल्लएहि य, पछिल्लएहि य तिहिं फुसइ, मज्झिमएहिं तिहिं विपडिसेहेयन्वं, दुप्पएसिओ जहा तिप्पएसियं फुसाविओ एवं फुसावेयन्वो जाव-अणंतपएसियं ।
कठिन शब्दार्थ-आइल्लएहि-पहले के, पच्छिल्लएहि-पीछे के ।
१४ प्रश्न-हे भगवन् ! विप्रदेशी स्कन्ध परमाणु पुद्गल को स्पर्श करता हुआ किस प्रकार स्पर्श करता है ?
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