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भगवती सूत्र-श. ५ उ. १ दिन-रात्रि मान
मुहत्ता राई, तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई, तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई।
८ प्रश्न-जया णं जंबूदीवे दीवे दाहिणड्ढे जहण्णए दुवालसमुहत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि, जया णं उत्तरड्ढे तया णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिम-पञ्चत्थिमे णं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ ?
८ उत्तर-हंता, गोयमा ! एवं चेव उच्चारेयध्वं, जाव-राई भवइ ।
९ प्रश्न-जया णं भंते ! जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं पचत्थिमेण वि, जया णं पचत्थिमे णं वि तया णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहत्ता राई भवइ ?
९ उत्तर-हंता, गोयमा ! जाव-राई भवइ । कठिन शब्दार्थ--ओसारेयव्वं-घटाते जाना चाहिये ।
भावार्थ--४ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में जब उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब उत्तरार्द्ध में भी. उत्कृष्ट अठारह महर्त का दिन होता है और जब उत्तरार्द्ध में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से पूर्व पश्चिम में जघन्य बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ?
___४ उत्तर-हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होती है । अर्थात् जम्बूद्वीप में यावत् बारह मुहूर्त की रात्रि होती है।
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