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भगवती सूत्र-श. ५ उ. १ सूर्य का उदय अस्त होना
हे भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सूर्य, ईशान कोण में उदय होकर अग्नि कोण में अस्त होते हैं ? क्या अग्निकोण में उदय होकर नैऋत्य कोण में अस्त होते हैं? क्या नैऋत्य कोण में उदय होकर वायव्य कोण में अस्त होते हैं ? क्या वायव्य कोण में उदय होकर ईशान कोण में अस्त होते हैं ?
१ उत्तर-हाँ, गौतम ! सूर्य इसी तरह उदय और अस्त होते हैं । जम्बूद्वीप में सूर्य उत्तर पूर्व अर्थात् ईशान कोण में उदय होकर यावत् ईशान कोण में अस्त होते हैं।
२ प्रश्न-हे भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है, तब उत्तरार्द्ध में भी दिन होता है, और जब उतरार्द्ध में दिन होता है, तब जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत से पूर्व पश्चिम में रात्रि होती है ?
२ उत्तर-हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होता है। अर्थात् जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है तब यावत् रात्रि होती है।
३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत से पूर्व में जब दिन होता है, तब पश्चिम में भी दिन होता है ? और जब पश्चिम में दिन होता है तब जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत से उत्तर दक्षिण दिशा में रात्रि होती है ?
.३ उत्तर-हाँ, गौतम ! यह इसी तरह होता है । अर्थात् जब जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत से पूर्व में दिन होता है तब यावत् रात्रि होती है।
विवेचन-पाँचवें शतक के प्रथम उद्देशक का विवेचन प्रारंभ होता है । जम्बूद्वीप में दो सूर्य होते हैं । उत्तर दिशा के पास के प्रदेश को 'उदीचीन' और पूर्व दिशा के पास के प्रदेश को 'प्राचीन' कहते हैं। उत्तर और पूर्व दिशा के बीच के भाग को · ईशान कोण' कहते हैं । क्रमपूर्वक ईशानकोण में सूर्य उदय होकर पूर्व और दक्षिण दिशा के बीच भाग में अर्थात् अग्निकोण में अस्त होता है । 'अमुक समय में सूर्य उदय होता है और अमुक समय में अस्त होता है' यह व्यवहार केवल दर्शक लोगों की अपेक्षा से है, क्योंकि समग्र भूमण्डल पर सूर्य के उदय और अस्त का समय नियत नहीं है । वास्तव में देखा जाय तो सूर्य तो सदा भूमण्लड पर विद्यमान ही रहता है, परन्तु जब सूर्य के सामने किसी प्रकार की आड़ (व्यवधान-ओट) आजाती है, तब उस देश के लोग सूर्य को नहीं देख सकते और तब से इस
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