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भगवती सूत्र -. ४ उ. ५-८ लोकपालों की राजधानियाँ
उद्देशक की समाप्ति होती है । इस प्रकार चार लोकपालों के चार विमानों की वक्तव्यता में चार उद्देशक पूर्ण होते हैं। परन्तु इनकी स्थिति में अन्तर है। वह इस प्रकार है-सोम और यम महाराजा की स्थिति त्रिभाग न्यून दो दो पल्योपम की है, वैश्रमण की स्थिति दो पल्योपम की है और वरुण की स्थिति त्रिभाग सहित दो पल्योपम की है। अपत्य रूप देवों की स्थिति एक पल्योपम की है। - विवेचन-तीसरे शतक में प्रायः देवों के सम्बन्ध में ही कथन किया गया है। अब इस चौथे शतक में भी प्रायः देवों के सम्बन्ध में ही कथन किया जाता है
चौथे शतक के दस उद्देशक है । प्रत्येक उद्देशक में किस विषय का वर्णन है । यह बात गाथा में बतलाई गई है। गाथा का अर्थ ऊपर दे दिया गया है । पहले के चार उद्देशकों में विमान सम्बन्धी कथन है और पांचवे से आठवें तक चार उद्देशकों में चार राजधानियों का वर्णन है । नवमें उद्देशक में नै रयिकों का और दसवें उद्देशक में लेश्याओं का वर्णन है । यह क्रम से आगे बतलाया जायगा ।
॥ इति चौथे शतक का उद्देशक एक, दो, तीन, चार समाप्त ॥
शतक ४ उद्देशक ५,६,७,८
लोकपालों को राजधानियाँ
१-रायहाणीसु वि चत्तारि उद्देसा भाणियब्वा, जाव-एमहिड्ढीए, जाव-वरुणे महाराया।
॥ चउत्थे सए पंचम-छट्ठ-सत्त-मट्ठमा उद्देसा सम्मत्ता ।
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