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भगवती सूत्र-ग. ३ उ. २ फैकी हुई वस्तु को पकड़ने की देवशक्ति
सीहे सीहे चेव तुरिए तुरिए चेव; उड्ढे गइविसए अप्पे अप्पे चेव, मंदे मंदे चेव, वेमाणियाणं देवाणं उड्ढे गइविसए सीहे सीहे चेव, तुरिए तुरिए चेव, अहे गइविसए अप्पे अप्पे चेव, मंदे मंदे चेव, जावइयं खेत्तं सक्के देविंद देवराया उड्ढं उप्पयइ एक्केणं समएणं, तं वजे दोहिं, जं वजे दोहिं, तं चमरे तिहिं । सव्वत्थोवे सकस्स देविंदस्स देवरण्णो उड्ढलोयकंडए, अहेलोयकंडए संखेजगुणे । जावइयं खेत्तं चमरे असुरिंदे असुरराया अहे उवयइ एक्केणं समएणं, तं सक्के दोहिं, जं सक्के दोहिं तं वजे तीहिं । सव्वत्थोवे चमरस्स असुरिंदस्स, असुररण्णो अहेलोयकंडए, उड्ढलोयकंडए संखेजगुणे, एवं खलु गोयमा ! सक्केणं देविंदेणं देवरण्णा, चमरे असुरिंदे असुरराया णो संचाइए साहत्थिं गेण्हित्तए। ____ कठिन शब्दार्थ-खिवित्ता-फैक कर, अणुपरियट्टित्ता-पीछे जाकर, खिते समाणे-फेंकते समय, साहत्थि-अपने हाथ से, पुवामेव सिग्घगई भवित्ता-पहले शीघ्र गति होती है, सोहे-शीघ्र, तुरिए-त्वरित, णो संचाइए-समर्थ नहीं हुए, जावइयंजितने, सव्वत्थोवे-सब से थोड़े, उड्ढलोयकंडए-उर्द्धलोक कंडक-ऊँचा जाने का समय मान । .
भावार्थ-२२ प्रश्न-'हे भगवन् !' ऐसा कह कर भगवान् गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को वन्दना नमस्कार किया और इस प्रकार कहा-'हे भगवन् ! देव महा ऋद्धि वाला है, महा कान्तिवाला यावत् महाप्रभाव वाला है, तो क्या वह किसी पुद्गल को पहले फेंक कर फिर उसके पीछे जाकर उसको पकड़ने में समर्थ हैं ?'
२२ उत्तर-हाँ, गौतम ! पकड़ने में समर्थ है।
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