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भगवती सूत्र - श. ३ उ. ३ क्रिया और वेदना
किया और वेदना
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७ प्रश्न - पुव्वं भंते! किरिया, पच्छा वेयणा ? पुव्वं वेयणा, पच्छा किरिया ?
७ उत्तर - मंडियपुत्ता ! पुव्विं किरिया, पच्छा वेयणा । णो पुवि वेयणा पच्छा किरिया ।
८ प्रश्न - अत्थि णं भंते ! समणाणं णिग्गंथाणं किरिया कज्जइ ?
८ उत्तर - हंता, अस्थि ।
९ प्रश्न - कहं णं भंते ! समणाणं णिग्गंथाणं किरिया कज्जह ? ९ उत्तर - मंडियपुत्ता ! पमायपचया, जोगनिमित्तं च; एवं खल समणाणं णिग्गंथाणं किरिया कज्जइ ।
कठिन शब्दार्थ - यणा - वेदना, पमायपच्चया - प्रमाद के कारण ।
भावार्थ- -७ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या पहले क्रिया होती हं और पीछे वेदना होती हे ? अथवा पहले वेदना होती है और पीछे क्रिया होती है ?
७ उत्तर—हे मण्डितपुत्र ! पहले क्रिया होती है और पीछे वेदना होती है, परन्तु पहले वेदना और पीछे क्रिया होती है, यह बात नहीं है ।
८ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या श्रमण निर्ग्रन्थों को क्रिया होती है ? ८ उत्तर - हां, मण्डितपुत्र ! होती है ।
९ प्रश्न - हे भगवन् ! श्रमण निर्ग्रन्थों को क्रिया किस प्रकार होती है ? अर्थात् श्रमण निर्ग्रन्थ किस प्रकार क्रिया करते हैं ?
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