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भगवती सूत्र-श. ३ उ. ५ अन गार की विविध प्रकार की वैक्रिय शक्ति
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३ प्रश्न-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवइयाइं पभू इथिरूवाइं विउवित्तए ? ____३ उत्तर-गोयमा ! से जहा णामए जुवई जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेजा, चक्कस्स वा णाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणइ, जाव-पभू णं, गोयमा ! अणगारे णं भावियप्पा केवलकप्पं जंबूदीवं दीवं बहूहिं इत्थिरूवेहिं आइण्णं, वितिकिण्णं, जाव-एस णं गोयमा ! अणगा. रस्स भावियप्पणो अयमेयारूवे विसए, विसयमेत्ते बुइए, णो चेव णं संपत्तीए विउठिबसु वा, विउबिति वा, विउव्विस्संति वा-एवं परिवाडीए णेयव्यं, जाव-संदमाणिया ।
____ कठिन शब्दार्थ-अपरियाहत्ता-लिये बिना, केवइयाइं-कितने, अयमेयारूवे-इसी प्रकार, परिवाडीए-परिपाटी पूर्वक-क्रमपूर्वक ।
भावार्थ-१ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या भावितात्मा अनगार, बाहर के पुदगल ग्रहण किये बिना एक बड़ा स्त्रीरूप यावत् स्यन्दमानिका रूप की विकुर्वणा कर सकता है ?
१ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । अर्थात् वह ऐसा नहीं कर सकता।
२ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या भावितात्मा अनगार, बाहर के पुद्गलों को ग्रहण करके एक बड़ा स्त्रीरूप यावत् स्यन्दमानिका रूप की विकुर्वणा कर सकता
२ उत्तर-हाँ, गौतम ! वह वैसा कर सकता है। ३ प्रश्न-हे भगवन् ! भावितात्मा अनगार, कितने स्त्री रूपों की विकु
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