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भगवती सूत्र - श. ३ उ. ८ देवेन्द्र
३ प्रश्न - पिसायकुमाराणं पुच्छा ?
३ उत्तर - गोयमा ! दो देवा आहेवच्चं, जाव - विहरंति, तं
जहा -
काले य महाकाले सुरूव-पडिरूव-पुण्णभद्दे य, अमरवई माणिभद्दे भीमे य तहा महाभीमे ।
किण्णर - किंपुरिसे खलु सम्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे, अकाय- महाकाए गीयरई चेव गीयजसे ।
एए वाणमंतराणं देवाणं ।
जोइसियाणं देवाणं दो देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा - चंदे य, सूरे य ।
भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! पिशाचकुमारों पर अधिपतिपना करते हुए कितने देव विचरते हैं ?
३ उत्तर--हे गौतम ! उन पर अधिपतिपना भोगते हुए दो दो देव हैं। यथा -काल और महाकाल । सुरूप और प्रतिरूप । पूर्णभद्र और मणिभद्र । भीम और महाभीम । किन्नर और किम्पुरुष । सत्पुरुष और महापुरुष । अतिकाय और महाकाय । गीतरति और गीतयश । ये सब वाणव्यन्तर देवों के इन्द्र हैं ज्योतिषी देवों पर अधिपतिपना भोगते हुए दो देव यावत् विचरते हैं । यथा - चन्द्र और सूर्य ।
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४ प्रश्न - सोहम्मी सासु णं भंते! कप्पेसु कइ देवा आहेवच्चं जाव विहरंति ?
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