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________________ ७३० भगवती सूत्र - श. ३ उ. ८ देवेन्द्र ३ प्रश्न - पिसायकुमाराणं पुच्छा ? ३ उत्तर - गोयमा ! दो देवा आहेवच्चं, जाव - विहरंति, तं जहा - काले य महाकाले सुरूव-पडिरूव-पुण्णभद्दे य, अमरवई माणिभद्दे भीमे य तहा महाभीमे । किण्णर - किंपुरिसे खलु सम्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे, अकाय- महाकाए गीयरई चेव गीयजसे । एए वाणमंतराणं देवाणं । जोइसियाणं देवाणं दो देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा - चंदे य, सूरे य । भावार्थ - ३ प्रश्न - हे भगवन् ! पिशाचकुमारों पर अधिपतिपना करते हुए कितने देव विचरते हैं ? ३ उत्तर--हे गौतम ! उन पर अधिपतिपना भोगते हुए दो दो देव हैं। यथा -काल और महाकाल । सुरूप और प्रतिरूप । पूर्णभद्र और मणिभद्र । भीम और महाभीम । किन्नर और किम्पुरुष । सत्पुरुष और महापुरुष । अतिकाय और महाकाय । गीतरति और गीतयश । ये सब वाणव्यन्तर देवों के इन्द्र हैं ज्योतिषी देवों पर अधिपतिपना भोगते हुए दो देव यावत् विचरते हैं । यथा - चन्द्र और सूर्य । Jain Education International ४ प्रश्न - सोहम्मी सासु णं भंते! कप्पेसु कइ देवा आहेवच्चं जाव विहरंति ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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