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________________ भग त्र-श. ३ उ.८ देवेन्द्र ७२९ एयाए–सम्बन्ध में । भावार्थ-१ प्रश्न-राजगृह नगर में यावत् पर्युपासना करते हुए गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछा-हे भगवन् ! असुरकुमार देवों पर कितने देव अधिप्रतिपना करते हुए यावत् विचरते हैं ? । १ उत्तर-हे गौतम ! असुरकुमार देवों पर अधिपतिपना भोगते हुए यावत् दस देव विचरते हैं। वे इस प्रकार हैं-असुरेन्द्र असुरराज चमर, सोम, यम, वरुण, वैश्रमण, वैरोचनेन्द्र वैरोचनराज बलि, सोम, यम, वैश्रमण और वरुण। _२ प्रश्न-हे भगवन् ! नागकुमार देवों पर कितने देव अधिपतिपना करते हुए यावत् विचरते हैं। २ उत्तर-हे गौतम ! नागकुमार देवों पर अधिपतिपना करते हुए यावत् दस देव विचरते हैं। वे इस प्रकार हैं-नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण, कालवाल, कोलवाल, शैलपाल शंखपाल, नागकुमारेन्द्र, नागकुमारराज, भूतानन्द, कालवाल, कोलवाल, शंखपाल और शैलपाल। जिस प्रकार नागकुमारों के इन्द्रों के सम्बन्ध में वक्तव्यता कही गई है, उसी प्रकार इन देवों के सम्बन्ध में भी समझना चाहिये। सुवर्णकुमार देवों परवेणुदेव, वेणुदालि, चित्र, विचित्र, चित्रपक्ष और विचित्रपक्ष । विद्युतकुमारों के ऊपर हरिकान्त, हरिसह, प्रभ, सुप्रभ, प्रभाकान्त और सुप्रभाकांत । अग्निकुमार देवों पर-अग्निसिंह, अग्निमाणव, तेजस्, तेजःसिंह, तेजकान्त और तेजप्रभ। द्वीपकुमार देवों पर-पूर्ण, विशिष्ट, रूप, रूपांश, रूपकान्त और रूपप्रम। उदधिकुमार देवों पर-जलकान्त, जलप्रभ, जल, जलरूप, जलकान्त और जलप्रभ । दिशाकुमार देवों पर-अमितगति, अमितवाहन, त्वरितगति, क्षिप्रगति, सिंहगति और सिंहविक्रमगति । वायुकुमार देवों पर-वेलम्ब, प्रभंजन, काल, महाकाल, अंजन और अरिष्ट । स्तनित कुमार देवों पर-घोष, महाघोष, आवर्त, व्यावर्त, नन्दिकावर्त और महानन्दिकावर्त। इन सब का कथन असुरकुमारों की तरह कहना चाहिये। दक्षिण भवनपति के इन्द्रों के प्रथम लोकपालों के नाम इस प्रकार हैंसोम, कालवाल, चित्र, प्रभ, तेजस्, रूप, जल, त्वरित गति, काल और आवर्त। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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