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भगवती सूत्र-श. ३ उ. ५ अनगार के अश्वादि रूप
दोनों तरफ पलाठी लगानेवाले पुरुष के रूप के सम्बन्ध में भी जानना चाहिए।
११ प्रश्न-हे भगवन् ! जैसे कोई पुरुष एक तरफ पर्यङ्कासन करके बैठे, उसी तरह भावितात्मा अनगार भी उस पुरुष के समान रूप बनाकर स्वयं आकाश में उड़ सकता है ?
११ उत्तर-हे गौतम ! पहले कहे अनुसार जानना चाहिये, यावत् इतने रूप कभी बनाये नहीं, बनाता नहीं और बनावेगा भी नहीं। इसी तरह दोनों तरफ पर्यङ्कासन करके बैठे हुए पुरुष के सम्बन्ध में भी जानना चाहिये। ..
अनगार के अश्वादि रूप
१२ प्रश्न-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं आसरूवं वा, हत्थिरूवं वा, सीहरूवं वा, वग्घरूवं वा, विगरूवं वा, दीवियरूवं वा, अच्छरूवं वा, तरच्छरूवं परासररूवं वा अभिजित्तए ?
१२ उत्तर-णो इणटे समटे । - १३ प्रश्न-अणगारे णं . ?
१३ उत्तर-एवं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू ।
१४ प्रश्न-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा एगं महं आसरूवं वा अभिजुंजित्ता अणेगाइं जोयणाई पभू गमित्तए ?
१४ उचर-हंता, पभू। १५ प्रश्न-से भंते ! किं आयड्ढीए गच्छ, परिड्डीए गच्छइ ? .
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