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भगवती सूत्र - श. ३ उ. २ आश्चर्यकारक
१७ प्रश्न - हे भगवन् ! असुरकुमार देव, किस की निश्रा (आश्रय ) लेकर सौधर्म कल्प तक ऊपर जाते हैं ?
१७ उत्तर - हे गौतम! जिस प्रकार * शबर, बब्बर, ढंकण, भुत्तुअ, पण्हय और पुलिंद जाति के मनुष्य किसी घने जंगल, खाई, जलदुर्ग, गुफा या सघन वृक्षपुंज का आश्रय लेकर, एक सुव्यवस्थित विशाल अश्ववाहिनी, गजवाहिनी, पदाति और धनुर्धारी मनुष्यों की सेना, इन सब सेनाओं को पराजित करने का साहस करते हैं, इसी प्रकार असुरकुमार देव भी अरिहंत, अरिहंत चैत्य तथा भावितात्मा अनगारों की निश्रा लेकर सौधर्म कल्प तक ऊपर जाते हैं, किन्तु afबिना निश्रा के ऊपर नहीं जा सकते हैं ।
विवेचन - जिस प्रकार शबर बर्बर आदि अनार्य जाति के लोग पर्वत की गुफा, विषम स्थान आदि का आश्रय लेकर, हाथी, घोड़ा पैदल आदि से युक्त सेना को पराजित करने का साहस करते हैं, किन्तु किसी का आश्रय लिये बिना वे ऐसा साहस नहीं कर सकते, इसी तरह असुरकुमार देव भी अरिहन्त भगवान् का, अरिहन्त चैत्यों का अर्थात् छद्मस्थावस्था में रहे हुए तीर्थङ्कर भगवान् का अथवा भावितात्मा अनगार का आश्रय लेकर ही ऊपर जा सकते हैं, आश्रय लिये बिना ऊपर नहीं जा सकते हैं।
१८ प्रश्न - सव्वे विणं भंते! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति, जाव - सोहम्मो कप्पो ?
१८ उत्तर - गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे, महिड्ढिया णं असुरकुमारा देवा उड् उपयंति, जाव - सोहम्मो कप्पो ।
१९ प्रश्न - एस वि णं भंते ! चमरे असुरिंदे, असुरकुमारराया उड्ढं उप्पइयपुव्विं जाव - सोहम्मो कप्पो ? १९ उत्तर - हंता, गोयमा !
• शब्बर, बब्बर आदि उस समय की अनायं जातियों के नाम है।
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