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भद्रबाहु संहिता
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विभिन्न आकार के शुक्र का कृत्तिका आदि नक्षत्रों में गमन करने का फल 278 शुक्र के घात का फल नक्षत्रों के आरोहण और भेदन करनेवाले शुक्र का फल
279 शुक्र के अस्तदिनों की संख्या
288 शुक्र के मार्गों का फलादेश
288 गज, ऐरावण आदि वीथिकाओं का फलादेश
289 शुक्र के विभिन्न वर्गों का फल
290 शुक्र के प्रवास और वक्र होने का फल
291 शुक्र के अतिचार
295 विवेचन
299 सोलहवां अध्याय शनि-चार के वर्णन की प्रतिज्ञा
306 दक्षिण मार्ग में शनि के अस्त होने का काल-प्रमाण
306 शनि के दो, तीन, चार नक्षत्र-प्रमाण गमन करने का फल
307 उत्तरमार्ग में वर्ण के अनुसार शनि का फल
307 मध्यमार्ग में शनि के उदयास्त का फल
307 शनि के दक्षिणमार्ग में गमन का फल
307 शनि की नक्षत्र-प्रदक्षिणा के आधार पर जन्म-फल
308 शनि के अपसव्य मार्ग में गमन करने का फल
308 सनि पर चन्द्रपरिवेष का फल
308 चन्द्र और शनि के एक साथ होने का फल
309 पनि के वेध का फल
309 शनि के कृत्तिका पर होने का फल
309 शनि के विविध वर्गों का फल
309 शनि के युद्ध का फल
310 शनि के अस्तोदय का फल
310 विवेचन
310 सत्रहवां अध्याय बृहस्पति (गुरु) के वर्ण, गति, आकार, मार्गी, उदयास्त के फलादेश वर्णन की प्रतिज्ञा
317 बृहस्पति के अशुभ महस
317 बृहस्पति द्वारा कृत्तिका आदि के घात का फल
319 बहस्पति द्वारा बायीं और दायीं ओर नक्षत्रों के अभिघातित होने का फल 323 बृहस्पति द्वारा चन्द्रमा की प्रदक्षिणा का कल
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