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भद्रबाहुसंहिता
के संयोग से अवर्षा होती है । बुध-शुक्र और गुरु-बुध का योग अवश्य वर्षा करता है । क्रूर ग्रहों से अदृष्ट और अयुत बुध और शुक्र एक राशि में स्थित हों और यदि उन्हें बृहस्पति भी देखता हो तो वे अधिक महावृष्टि के देने वाले होते हैं । क्रूर ग्रहों से अदृष्ट और अयुत (भिन्न) बुध और बृहस्पति एक राशि में स्थित हों और यदि शुक्र उन्हें देखता हो तो वे अधिक अच्छी वर्षा करते हैं । क्रूर ग्रहों से अदृप्ट और अयुत (भिन्न) गुरु और शुक्र एकत्र स्थित हों और यदि बुध उन्हें देखता हो तो वे उत्तम वर्षा करते हैं। शुक्र और चन्द्रमा या मंगल और चन्द्रमा यदि एक राशि पर स्थित हों तो सर्वत्र वर्षा होती है और फसल भी उत्तम होती है। सूर्य के सहित बृहस्पति यदि एक राशि पर स्थित हो तो जब तक वह अस्त न हो जाय, तब तक वर्षा का योग समझना चाहिए । शनि और मंगल का एक राशि पर होना महावृष्टि का कारण होता है। इस योग के होने से दो महीने तक वर्षा होती है, पश्चात् वर्षा में रुकावट उत्पन्न होती है । सौम्य ग्रहों से अदृष्ट और अयुत शनि और मंगल यदि एक स्थान पर स्थित हों तो वायु का प्रकोप और अग्नि का भय होता है।
एक राशि या एक ही नक्षत्र पर राहु और मंगल आ जायें तो दोनों वर्षा का नाश करते हैं । गुरु और शुक्र यदि एकत्र स्थित हों तो असमय में वर्षा होती है । सूर्य से आगे शुक्र या बुध जायें तो वर्षा काल में निरन्तर वर्षा होती रहती है । मंगल के आगे सूर्य की गति हो तो वह वर्षा को नहीं रोकता है। किन्तु सूर्य के आगे मंगल हो तो वर्षा को तत्काल रोक देता है। बृहस्पति के आगे शुक्र हो तो वह अवश्य वृष्टि करता है; किन्तु शुक्र के आगे बृहस्पति हो तो वर्षा का अवरोध होता है । बुध के आगे शुक्र के होने से महावृष्टि और शुक्र के आगे बुध के होने पर अल्प वृष्टि होती है । यदि दोनों के मध्य में सूर्य या अन्य ग्रह आ जायें तो वर्षा नहीं होती। अनिश्चित मार्ग से गमन करता हुआ बुध यदि शुक्र को छोड़ दे तो सात दिन या पांच दिन तक लगातार वर्षा होती है । उदय या अस्त होता हुआ बुध यदि शुक्र से आगे रहे तो शीघ्र ही वर्षा पैदा करता है । जल नाड़ियों में आने पर यह अधिक फल देता है। बुध, बृहस्पति और शुक्र ये तीनों ग्रह एक ही राशि पर स्थित हों और क्रूर ग्रहों से अदृष्ट और अयुत हों तो इन्हें महावृष्टि करने वाले समझने चाहिए। शनि, मंगल और शुक्र तीनों एक राशि पर स्थित हों और गुरु इन्हें देखता हो तो निस्सन्देह वर्षा होती है । सूर्य, शुक्र और बुध इनके एक राशि पर होने से अल्पवृष्टि होती है । सूर्य, शुक्र और बृहस्पति के एक राशि पर रहने से अतिवृष्टि होती है । शनि, शुक्र और मंगल के एकत्र होते हुए गुरु से देखे जाने पर साधारण वर्षा होती है। शनि, राहु और मंगल ये तीनों एक राशि पर स्थित हों तो ओले के साथ वर्षा होती है । सभी ग्रह एक ही राशि पर आ जायें तो दभिक्ष, अवर्षा और रोग द्वारा कष्ट होता है। शुक्र, मंगल, शनि और बृहस्पति ये ग्रह