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भद्रबाहुसहिता
केशी और कृष्ण वर्ण के दांत वाली स्त्री का दर्शन या आलिंगन करना देखने से छ: मास के भीतर मत्यु और कृष्ण वर्ण वाली पापिनी आचारविहीना लम्बकेशी लम्बे स्तन वाली और मैले वस्त्र परिहिता स्त्री का दर्शन और आलिंगन करना देखने से शीत्र मृत्यु होती है। तिथियों क अनसार स्वप्न का फल
शुक्लपक्ष को प्रतिपदा - इस तिथि में स्वप्न देखने पर विलम्ब से फल मिलता है।
शुक्लपक्ष को द्वितीया-इम तिथि में स्वप्न देखने पर विपरीत फल होता है । अपने लिए देखने मे दूसरों को और दूसरों के लिए देखने से अपने को फल मिलता है।
शुक्लपक्ष की तृतीया-इस तिथि में भी स्वप्न देखने मे विपरीत फल मिलता है । पर फल की प्राप्ति बिलम्ब मे होती है।
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और पंचमी-इन तिथियों में स्वप्न देखने से दो महीने से लेकर दो वर्ष तक के भीतर फल मिलता है।
शुक्लपक्ष की षष्ठी, सप्तमी अष्टमी, नतमी और दशमी-इन तिथियों में स्वप्न देखने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है तथा स्वप्न सत्य निकलता है।
शुक्लपक्ष की एकादशी और द्वादशी-इन तिथियों में स्वप्न देखने से विलम्ब से फल होता है।
शुक्लपक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी-इन तिथियों में स्वप्न देखने से स्वप्न का फल नहीं मिलता है तथा स्वप्न मिथ्या होते हैं।
पूर्णिमा-इस तिथि के स्वप्न का फल अवश्य मिलता है। कृष्णपक्ष को प्रतिपदा-इस तिथि के स्वप्न का फल नहीं होता है।
कृष्णपक्ष की द्वितीया-इस तिथि के स्वप्न का फल विलम्ब से मिलता है। मतान्तर से, इसका स्वप्न सार्थक होता है ।
कृष्णपक्ष की तृतीया और चतुर्थी— इन तिथियों के स्वप्न मिथ्या होते हैं।
कृष्णपक्ष की पंचमी और षष्ठी-इन तिथियों के स्वप्न दो महीने बाद और तीन वर्ष के भीतर फल देने वाले होते हैं।
कृष्णपक्ष को सप्तमी-इस तिथि का स्वप्न अवश्य शीघ्र ही फल देता है।
कृष्णपक्ष की अष्टमी और नवमी-इन तिथियों के स्वप्न विपरीत फल देने वाले होते हैं।
कृष्णपक्ष की दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी-इन तिथियों के स्वप्न मिथ्या होते हैं।
कृष्णपक्ष की चतुर्दशी-इस तिथि का स्वप्न सत्य होता है तथा शीघ्र ही फल देता है।