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परिशिष्टाऽध्यायः
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दिखलाई पड़े और स्वप्न दर्शन के अनन्तर निद्रा टूट जाय, उसके धन का विनाश होता है ।122॥
रक्तानां करवीराणामुत्पन्नानामुपानहम् ।
लाभे वा दर्शनं स्वप्ने प्रयातस्य विनिदिशेत् ॥1231 यदि स्वप्न में लाल-लाल तलवार धारण किये हुए वीरपुरुषों के जूते का दर्शन या लाभ हो तो यात्रा की सफलता समझनी चाहिए ।।123॥
कृष्णवाहाधिरूढो य: कृष्णवासो विभूषित:।
उद्विग्नश्च दिशो याति दक्षिणां गत एव सः ॥124॥ स्वप्न में कृष्ण सवारी पर आरूढ़, कृष्ण वस्त्रों से विभूषित एवं उद्विग्न होता हुआ दक्षिण दिशा की ओर जाते हुए देखे तो मृत्यु समझनी चाहिए ।।124॥
कृष्णा च विकता नारी रौद्राक्षी च भयप्रदा।
कर्षति दक्षिणाशायां यं ज्ञेयो मृत एव सः ॥1250 स्वप्न में जिस व्यक्ति को काली कलटी विकृत वर्ण की भयानक नारी दक्षिण दिशा की ओर खींचती हुई दिखलायी पड़े उसकी निश्चित रूप से मृत्यु समझनी चाहिए ।।1251
मुण्डितं जटिलं रूक्षं मलिनं नीलवाससम् ।
रुष्टं पश्यति य: स्वप्ने भयं तस्य प्रजायते ॥126॥ जो स्वप्न में मुण्डित, जटिल, रूक्ष, मलिन और नील वस्त्र धारण किये हुए रुष्ट रूप में अपने को देखता है उसे भय की प्राप्ति होती है ।।126।।
दुर्गन्धं पाण्डुरं भीमं तापसं व्याधिविकृतिम् ।
पश्यति स्वप्ने (...) ग्लानि तस्य निरूपयेत् ॥127॥ स्वप्न में जो दुर्गन्धयुक्त, पीले एवं भयंकर व्याधिकयुक्त तपस्वी को देखता है उसे ग्लानि होती है ।।127॥
वृक्षं वल्ली च्छुपगुल्मं वल्मीकि निजांकगाम् ।
दृष्ट्वा जागति य: स्वप्ने ज्ञेयस्तस्य धनक्षय: ।।128॥ जो स्वप्न में वृक्ष, लता, छोटे-छोटे गुल्म या वल्मीकि-बांबी को अपनी गोदी में देखता है और स्वप्न दर्शन के पश्चात् जाग जाता है उसके धन का विनाश होता है।।12811