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भद्रबाहुसंहिता
शान्ति, गृह वाटिका विधायक नक्षत्र
उत्तरात्रयरोहिण्यो भास्करश्च ध्रुवं स्थिरम् । तत्र स्थिरं बीजगेहशान्त्यारामादिसिद्धये ।।
उत्तराफाल्गुनी, उत्तरापाड़ा, उत्तराभाद्रपद और रोहिणी ये चार नक्षत्र और रविवार, इनकी ध्रुव और स्थिर संज्ञा है। इनमें स्थिर कार्य करना, बीज बोना, घर बनवाना, शान्ति कार्य करना, गाँव के समीप बगीचा लगाना आदि कार्यों के साथ मृदु कार्य करना भी शुभ होता है ।
हाथी-घोड़े की सवारी विधायक नक्षत्र
स्वात्यादित्ये श्रुतेस्त्रीणि चन्द्रश्चापि चरं चलम् । तस्मिन् गजादिमारोहो वाटिकागमनादिकम् ।।
स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा ये पाँच नक्षत्र और सोमवार इनकी चर और चल संज्ञा है। इनमें हाथी घोड़े आदि पर चढ़ना, बगीचे आदि में जाना, यात्रा करना आदि शुभ होता है ।
विषशस्त्रादि विधायक नक्षत्र
पूर्वत्रयं याम्यमघे उग्रं क्रूरं कुजस्तथा । तस्मिन् धाताग्निशाठ्यानि विषशस्त्रादि सिद्ध्यति । विशाखाग्नेयभे सौम्यो मिश्रं साधारणं स्मृतम् । तत्राग्निकार्यं मिश्रं च वृषोत्सर्गादि सिद्ध्यति ॥
पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, भरणी, मघा ये पांच नक्षत्र और मंगल दिन की क्रूर और उग्र संज्ञा है। इनमें मारण, अग्नि कार्य, धूर्ततापूर्ण कार्य, विषकार्य, अस्त्र-शस्त्र निर्माण एवं उनके व्यवहार करने का कार्य सिद्ध होता है ।
विशाखा, कृत्तिका ये दो नक्षत्र और बुध दिन इनकी मिश्र और साधारण संज्ञा है। इसमें अग्निहोत्र, साधारण कार्य, वृषोत्सर्ग आदि कार्य सिद्ध होते हैं । आभूषणादि विधायक नक्षत्र
हस्ताश्विपुष्याभिजितः क्षिप्रं लघुगुरुस्तदा । तस्मिन्पण्य रतिज्ञानभूषा शिल्पकलादिकम् ॥
हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजित् ये चार नक्षत्र और बृहस्पति दिन, इनकी क्षिप्र और लघु और गुरु संज्ञा है । इनमें बाजार का कार्य, स्त्री-सम्भोग, शस्त्रादि का ज्ञान, आभूषणों का बनवाना और पहिनना, चित्रकारी, गाना-बजाना आदि कार्य सफल होते हैं ।