Book Title: Bhadrabahu Samhita
Author(s): Nemichandra Jyotishacharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 574
________________ 476 भद्रबाहुसंहिता अपनी मृत्यु के दर्शन करता है अथवा अस्त्रों को ही तोड़ देता है उसकी मृत्यु बीस दिन में ही हो जाती हैं ।।90।। यो नृत्यन् नीयते बद्ध्वा रक्तपुष्पैरलङ्कृतः । सन्निवेशं कृतान्तस्य मासादूर्ध्वं स नश्यति ॥1॥ जो स्वप्न में मृतक के समान लाल फूलों से सजाया हुआ नृत्य करते हुए दक्षिण दिशा की ओर अपने को बांधकर ले जाते हुए देखता है वह एक मास से कुछ अधिक जीवित रहता है ।।91॥ तैलपूरितगर्तायां रक्तकीकसपूरिभिः । स्वं मग्नं वीक्ष्यते स्वप्ने मासार्द्ध म्रियते स वै ॥92॥ जो स्वप्न में रुधिर, चर्बी, पीप (पीब), चमड़ा, घी और तेल से भरे गड्ढे में गिरकर डूबता हुआ देखता है उसकी निश्चित 15 दिनों में मृत्यु हो जाती है ॥92॥ बन्धनेऽथ वरस्थाने मोक्षे प्रयाणके ध्र वम् । सौरभेये सिते दृष्टे यशोलामं निरन्तरम् ॥93॥ स्वप्न में श्वेत गाय बंधी हुई, तथा खूटे से खुली हुई एवं चलती हुई दिखलाई पड़े तो हमेशा यश प्राप्ति होती है ।।93।। नदीवृक्षसरोभूभृत् गृहकुम्भान् मनोहरान् । स्वप्ने पश्यति शोकात: सोऽपि शोकेन मुच्यते ॥५॥ स्वप्न में नदी, वृक्ष, तालाब, पर्वत, घर तथा सुन्दर मनोहर कलश दिखलाई पड़े तो दुःखी व्यक्ति भी दुःख से मुक्त हो जाता है ।।940 शयनाशनजं पानं गृहं वस्त्रं सभूषणम् । सालंकारं द्विपं वाहं पश्यन शर्मकदम्बभाक् ॥95।। जो स्वप्न में सोना, भोजन-पान, घर, वस्त्रा-भूषण, अलंकार, हाथी तथा अन्य वाहन आदि का दर्शन करता है उसे सभी प्रकार के सुख उपलब्ध होते हैं ।।951 पताकामसिष्टि च पुष्पमाला सशक्तिकाम् । काञ्चनं दीपसंयुक्तं लात्वा बुद्धो धनं भजेत् ॥96॥ यदि स्वप्न में पताका, तलवार, लाठी, पुष्पमाला आदि को स्वर्णदीपक के द्वारा देखता हुआ दिखलाई पड़े तो धन की प्राप्ति होती है ॥96॥

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