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विंशतितमोऽध्यायः
प्रगति करते हैं । कर्क राशि के राहु में सोना, चांदी, तांबा, लोहा, गेहूँ, चना, जौ, ज्वार, बाजरा आदि पदार्थ सस्ते होते हैं तथा सुभिक्ष और सुवृष्टि होती है । जनता में सुख-शान्ति रहती है । यदि कर्क राशि के राहु के साथ गुरु हो तो राजनीतिक प्रगति होती है । देश का स्थान अन्य देशों के बीच श्रेष्ठ माना जाता है | पंजाब, बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लिए यह राहु बहुत अच्छा है । इन स्थानों में वर्षा और फसल दोनों ही उत्तम होती हैं । आसाम में बाढ़ आने के कारण अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं। जूट के व्यापार में साधारण लाभ होता है । जापान में फसल बहुत अच्छी होती है; किन्तु भूकम्प आने का भय सर्वदा बना रहता है । कर्क राशि का राहु चीन और रूस के लिए उत्तम नहीं है, अवशेष सभी राष्ट्रों के लिए उत्तम है । मिथुन राशि के राहु में भी सभी पदार्थ सस्ते होते हैं । अन्नादि पदार्थों की उत्पत्ति भी अच्छी होती है। तथा सभी देशों में सुकाल रहता है । वृष राशि के राहु
अन्न की कुछ कमी पड़ती है। घी, तेल, तिलहन, चन्दन, केशर कस्तूरी, गेहूं, जौ, चना, चावल, ज्वार, मक्का, बाजरा, उड़द, अरहर, मूंग, गुड़, चीनी आदि पदार्थों के संचय में लाभ होता है । मेष राशि के राहु में यदि एक ही मास में सूर्य और चन्द्रग्रहण हो तो निश्चयतः दुर्भिक्ष पड़ता है । बंगाल, बिहार, आसाम और उत्तर प्रदेश में उत्तम वर्षा होती है, दक्षिण भारत में मध्यम वर्षा तथा अवशेष प्रदेशों में वर्षा का अभाव या अल्प वर्षा होती है । यदि राहु के साथ शनि और मंगल हों तो वर्षा का अभाव रहता है । अनाज की उत्पत्ति भी साधारण ही होती है । देश में खाद्यान्न संकट होने से कुछ अशान्ति रहती है । निम्न श्रेणी के व्यक्तियों को अनेक प्रकार के कष्ट होते हैं ।
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राहु द्वारा होने वाले चन्द्रग्रहण का फल - मेष राशि में चन्द्र ग्रहण हो तो मनुष्यों को पीड़ा होती है। पहाड़ी प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, दक्षिण भारत, महाराष्ट्र आन्ध्र, वर्मा आदि प्रदेशों के निवासियों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है । मेष राशि के ग्रहण में शूद्र और वर्णसंकरों को अधिक कष्ट होता है। लाल रंग के पदार्थों में लाभ होता है । वृष राशि के ग्रहण में गोप, मवेशी, पथिक, श्रीमन्त, धनिक और श्रेष्ठ व्यक्तियों को कष्ट होता है । इस ग्रहण से फसल साधारण होती है, वर्षा भी मध्यम ही होती है । खनिज पदार्थ और मशालों की उत्पत्ति अधिक होती है । गायों की संख्या घटती है, जिससे घी, दूध की कमी होने लगती है । राजनीतिक दृष्टि से उथल-पुथल होती है । ग्रहण पड़ने के एक महोने के उपरान्त नेताओं में मनमुटाव आरम्भ होता है तथा सभी प्रदेशों के मन्त्रि मण्डलों में परिवर्तन होता है । मिथुन राशि पर चन्द्रग्रहण के साथ यदि सूर्य ग्रहण भी हो तो कलाकारों, शिल्पियों, वेश्याओं, ज्योतिषियों एवं इसी प्रकार के अन्य व्यवसायियों को शारीरिक कष्ट होता है । इटली, मिस्र, ईरान आदि देशों में,