________________
भद्रबाहुसंहिता
शेषमौत्पातिकं प्रोक्तं विधानं भास्करं प्रति । ग्रहयुद्धे 'प्रवक्ष्यामि सर्वगत्या च साधयेत् ॥21॥ अवशेष सूर्य का औत्पातिक विधान समझना चाहिए। ग्रहयुद्ध का वर्णन करूंगा, उसकी सिद्धि गति आदि मे कर लेनी चाहिए ||21||
384
इति भद्रबाहुविरचिते निमित्तशास्त्र आदित्याचारो नाम द्वाविंशतितमोऽध्यायः ॥ 22 ॥
विवेचन - पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा और मघा ये 14 नक्षत्र 'चन्द्र नक्षत्र' एवं पूर्वाभाद्रपद, शतभिषा, मृगशिरा, रोहिणी, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा और मूल में 13 नक्षत्र 'सूर्य नक्षत्र' कहलाते हैं । यदि सूर्य नक्षत्रों में चन्द्रमा और चन्द्रनक्षत्रों में सूर्य हो तो वर्षा होती है । चन्द्र नक्षत्रों में यदि सूर्य और चन्द्रमा दोनों हों तो अल्पवृष्टि होती है, किन्तु यदि सूर्य नक्षत्र पर सूर्य-चन्द्रमा दोनों हों तो वृष्टि नहीं होती । सूर्य नक्षत्र पर सूर्य के आने से वायु चलती है, जिससे वायु-दोष के कारण वर्षा नहीं होती । चन्द्रमा चन्द्र नक्षत्रों पर रहे तो केवल बादल आच्छादित रहते हैं, वर्षा नहीं होती । कर्क संक्रान्ति के दिन रविवार होने से 10 विश्वा, सोमवार होने से 20 विश्वा, मंगलवार होने से 8 विश्वा, बुधवार होने से 12 विश्वा, गुरुवार होने से 18 विश्वा, शुक्रवार होने से भी 18 विश्वा और शनिवार होने से 5 विश्वा वर्षा होती है। कर्क संक्रान्ति के दिन शनि, रवि, बुध और मंगलवार होने से अधिक वृष्टि नहीं होती, शेष वारों में सुवृष्टि होती है । चन्द्रमा के जलराशि पर स्थित होने पर सूर्य कर्क राशि में आये तो अच्छी वर्षा होती है । मेष, वृष, मिथुन और मीन राशि पर चन्द्रमा के रहते हुए यदि सूर्य कर्क राशि में प्रविष्ट हो तो 100 आढक वर्षा होती है। कर्क संक्रान्ति के समय धनुष और सिंह राशि पर चन्द्रमा के होने से 50 आढक वर्षा होती है। मकर और कन्या राशि पर चन्द्रमा के रहने से 25 आढक वर्षा एवं तुला, वृश्चिक, कुम्भ और कर्क राशि पर चन्द्रमा के होने से साढ़े 12 आढक प्रमाण वर्षा होती है । कर्कराशि में प्रविष्ट होते हुए सूर्य को यदि बृहस्पति पूर्ण दृष्टि से देखे अथवा तीन चरण दृष्टि से देखे तो अच्छी वर्षा होती है। श्रावण के महीने में यदि कर्क संक्रान्ति के समय मेघ खूब छाये हों तो सात महीने तक सुभिक्ष होता है और अच्छी वर्षा होती है । मंगल के दिन सूर्य की कर्क संक्रान्ति और शनिवार को मकर संक्रान्ति
1. च वक्ष्यामि मु० ।