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विशतितमोऽध्यायः
अवशेष सभी प्रदेशों के लिए दुर्भिक्षकारक होता है । अन्न की कमी अधिक रहती है, जिससे प्रजा को भुखमरी का कष्ट तो सहन करना ही पड़ता है साथ ही आप में संघर्ष और लूट-पाट होने के कारण अशान्ति रहती है । मीन राशि के राहु के साथ शनि भी हो तो निश्चयतः भारत को दुर्भिक्ष का सामना करना पड़ता है । दाने-दाने के लिए मुँहताज होना पड़ता है । जो अन्न का संग्रह करके रखते हैं, उन्हें भी कष्ट उठाना पड़ता है । कुम्भ राशि में राहु हो तो सन, सूत, कपास, जूट आदि के संचय में लाभ रहता है । राहु के साथ मंगल हो तो फिर जूट के व्यापार में तिगुना चौगुना लाभ होता है । व्यापारिक सम्बन्ध भी सभी लोगों के बढ़ते जाते हैं । कपास, रूई, सूत, वस्त्र, जूट, सन, पाटादि से बनी वस्तुओं के मूल्य में महंगी आती है । कुम्भ राशि में राहु और मंगल के आरम्भ होते ही छः महीनों तक उक्त वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए। सातवें महीने में बेच देने से लाभ रहता है।
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कुम्भ राशि के राहु में वर्षा साधारण होती है, फसल भी मध्यम होती है तथा धान्य के व्यापार में भी लाभ होता है । खाद्यान्नों की कमी राजस्थान, बम्बई, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं उड़ीसा में होती है । बंगाल में भी खाद्यान्नों की कमी आती है, पर दुष्काल की स्थिति नहीं आने पाती । पंजाब, बिहार और मध्य भारत में उत्तम फसल उपजती है । भारत में कुम्भ राशि का राहु खण्डवृष्टि भी करता है । शनि के साथ राहु कुम्भ राशि में स्थिति रहे तो प्रजा के लिए अत्यन्त कष्ट कारक हो जाता है । दुर्भिक्ष के साथ खून-खराबियाँ भी कराता है । यह संघर्ष और युद्ध का कारण होता है। विदेशों से सम्पर्क भी बिगड़ जाता है, सन्धियों का महत्त्व समाप्त हो जाता है । जापान और वर्मा में खाद्यान्न की कमी नहीं रहती है । चीन के साथ उक्त राहु की स्थिति में भारत का मैत्री सम्बन्ध दृढ़ होता है | मकर राशि में राहु के रहने से सूत, कपास, रूई, वस्त्र, जूट, सन, पाट आदि का संग्रह तीन महीनों तक करना चाहिए । चौथे महीने में उक्त वस्तुओं के बेचने से तिगुना लाभ होता है । ऊनी, रेशमी और सूती वस्त्रों में पूरा लाभ होता है । मकर का राहु गुड़ में हानि कराता है तथा चीनी और चीनी से निर्मित वस्तुओं के व्यापार में भी पर्याप्त हानि होती है । खाद्यान्न की स्थिति कुछ सुधर जाती है, पर कुम्भ और मकर राशि के राहु में खाद्यान्नों की कमी रहती है । मकर राशि के राहु के साथ शनि, मंगल या सूर्य के रहने से वस्त्र, जूट और कपास या सूत में पंचगुना लाभ होता है । वर्षा भी साधारण ही हो पाती है, फसल साधारण रह जाती है, जिससे देश में अन्न का संकट बना रहता है । मध्यभारत और राजस्थान में अन्न की कमी रहती है, जिससे वहाँ के निवासियों के लिए कष्ट होता है । धनु राशि के राहु में मवेशी के व्यापार में अधिक लाभ होता है। घोड़ा, खच्चर, हाथी एवं सवारी के सामान – मोटर साईकिल, रिक्शा आदि में भी अधिक लाभ होता है । जो व्यक्ति मवेशी का संचय तीन महीनों तक करके चौथे महीने में मवेशी को