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भद्रबाहुसंहिता
विशेषतः मुस्लिम राष्ट्रों में अनेक प्रकार से अशान्ति रहती है । वहाँ अन्न और वस्त्र की कमी रहती है तथा गृह-कलह भी उत्पन्न होती है । उद्योग-धन्धों में रुकावट उत्पन्न होती है । वर्मा, चीन, जापान, जर्मन, अमेरिका, इंगलैण्ड और रूस में शान्ति रहती है। यद्यपि इन देशों में भी अर्थसंकट बढ़ता हुआ दिखलाई पड़ता है, फिर भी शान्ति रहती है। भारत के लिए भी उक्त राशि पर दोनों ग्रहणों का होना अहितकारक होता है। कर्क राशि पर चन्द्रग्रहण हो तो गर्दभ और अहीरों को कष्ट होता है । कबाली, नागा तथा अन्य पहाड़ी जाति के व्यक्तियों के लिए भी पर्याप्त कष्ट होता है । नाना प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं तथा आर्थिक संकट भी उनके सामने प्रस्तुत रहता है। यदि इसी राशि पर सूर्यग्रहण भी हो तो क्षत्रियों को कष्ट होता है । सैनिक तथा अस्त्र से व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों को पीड़ा होती है । चोर और डाकुओं के लिए अत्यन्त भय होता है। सिंह राशि के ग्रहण में वनवासी दुःखी होते हैं, राजा और साहुकारों का धन क्षय होता है । कृषकों को भी मानसिक चिन्ताएं रहती हैं। फसल अच्छी नहीं होती तथा फसल में नाना प्रकार के रोग लग जाते हैं । टिड्डी, मूसों का भय अधिक रहता है । कठोर कार्यों से आजीविका अर्जन करने वालों को लाभ होता है । व्यवसायियों को हानि उठानी पड़ती है। कन्या राशि के ग्रहण में शिल्पियों, कवियों, साहित्यकारों, गायकों एवं अन्य ललित कलाकारों को पर्याप्त कष्ट रहता है। आर्थिक संकट रहने से उक्त प्रकार के व्यवसायियों को कष्ट होता है। छोटे-छोटे दुकानदारों को भी अनेक प्रकार के कष्ट होते हैं । बंगाल, आसाम, बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बम्बई, दिल्ली, मद्रास और मध्य प्रदेश में फसल साधारण होती है । आसाम में अन्न की कमी रहती है तथा पंजाब में भी अन्न का भाव महंगा रहता है। यदि कन्या राशि पर चन्द्रग्रहण के साथ सूर्यग्रहण भी हो तो बर्मा, लंका, श्याम, चीन
और जापान में भी अन्न की कमी पड़ जाती है। वस्त्र के व्यापार में अधिक लाभ होता है। जूट, सन, रेशम, कपास, रूई और पाट के भाव ग्रहणों के दो महीने के पश्चात् अधिक बढ़ जाते हैं । मिट्टी का तेल, पेट्रोल, कोयला आदि पदार्थों की कमी पड़ जाती है । यदि कन्या राशि के चन्द्र ग्रहण पर मंगल या शनि की दृष्टि हो तो अनाजों की और अधिक कमी पड़ जाती है । तुला राशि पर चन्द्र ग्रहण हो तो साधारण जनता में असन्तोष होता है। गेहूं, गुड़, चीनी, घी और तेल का भाव तेज होता है। व्यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्छा होता है, उन्हें व्यापार में अच्छा लाभ होता है। पंजाब, त्रावणकोर, कोचीन, मलावार को छोड़ अवशेष भारत में अच्छी वर्षा होती है। इन प्रदेशों में फसल भी अच्छी नहीं होती है। पशुओं को कष्ट होता है तथा बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। घी, गुड़, चीनी, काली मिर्च, पीपल, सोंठ, धनिया, हल्दी आदि पदार्थों का भाव भी महंगा होता है । लोहे के