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भद्रबाहुसंहिता
अ. सशक्तितोमराणां खड्गानां चक्रचर्मणाम् । सदृशप्रतिलोमानि सङ्ग्रामं तेषु निदिशेत् ।।14।।
तलवार, त्रिशूल, भाला, बर्फी, खड्ग, चक्र और ढाल के समान आकार वाले और प्रतिलोम–विपरीत मार्ग से गमन करने वाले बादल युद्ध की सूचना देते हैं ।।14।
धनुषां कवचानां च बालानां सदृशानि च । खण्डान्यभ्राणि रूक्षाणि सङग्रामं तेषु निर्दिशेत् ||150
धनुषाकार, कवचाकार, बाल - हाथी, घोड़ों की पूंछ के बालों के समान तथा खण्डित और रूक्ष बादल संग्राम की सूचना देते हैं ||15|| सर्वे यान्ति परस्परम् ।
नानारूप प्रहरण: सङ ग्रामं तेषु जानीयादतुलं प्रत्युपस्थितम् ||16||
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नाना प्रकार के रूप धारण कर सब बादल परस्पर में आघा - प्रतिघात करें
तो घोर संग्राम की सूचना अवगत करनी चाहिए ||16||
अभ्रवृक्षं समुच्छाद्य योऽनुलोमसमं व्रजेत् । यस्य राज्ञो वधस्तस्य भद्रबाहुवचो यथा ॥17॥
जड़ से उखड़े हुए वृक्ष के समान यदि बादल गमन करते हुए दिखलाई पड़ें तो राजा के वध की सूचना ज्ञात करनी चाहिए, ऐसा भद्रबाहु स्वामी का वचन है ॥17॥
'बालाऽम्रवृक्षनरणं कुमारामात्ययोर्वदेत् ।
एवमेवं च विज्ञेयं प्रतिराजं यदा भवेत् ॥18॥
छोटे-छोटे वृक्ष के समान आकृति वाले बादलों से युवराज और मन्त्री का मरण जानना चाहिए ॥ 18 ॥
तिर्यक्षु यानि गच्छन्ति रूक्षाणि च घनानि च । निवर्तयन्ति तान्याशु चमूं सर्वाः सनायकाम् ॥19॥
यदि मेघ तिरछे गमन करते हों, रूक्ष हों और सघन हों तो उनसे नायक
1. भव्यंग म्० A -भिमरणं वृधे मु० B भ्राणिक्ष मु० D. । 2. प्रतिन्यानां मु० B., प्रतिराश मु० C., प्रतिराज्ञा मु० D. । 3. नियंचि मु० C. 14. रूपाणि मु० A. D. वृक्षाणि मु० C. 1 5, च नायकाम् मू० C.