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भद्रबाहुसंहिता
हआ मदोन्मत्त हाथी यदि सामने आता हुआ दिखलाई पड़े तो यात्रा सफल होती है। जो हाथी पीलवान को गिराकर आगे दौड़ता हुआ आये तो यात्रा में कष्ट, पराजय, आर्थिक क्षति आदि फलों की प्राप्ति होती है। ___अश्व विचार-यदि प्रस्थान काल में घोड़ा हिनहिनाता हुआ दाहिने पैर से पृथ्वी को खोद रहा हो और दाहिने अंग को खुजला रहा हो तो वह यात्रा में पूर्ण सफलता दिलाता है तथा पद-वृद्धि की सूचना देता है। घोड़े का दाहिनी ओर हिनहिनाते हुए निकल जाना, पूंछ को फटकारते हुए चलना एवं दाना खाते हुए दिखलाई पड़ना शुभ है । घोड़े का लेटे हुए दिखलाई पड़ना, कानों को फटफटाना, मल-मूत्र त्याग करते हुए दिखलाई पड़ना यात्रा के लिए अशुभ होता है।
गर्दभ विचार-वाम भाग में स्थित गर्दभ अतिदीर्घ शब्द करता हुआ यात्रा में शुभ होता है। आगे या पीछे स्थित होकर गर्दभ शब्द करे तो भी यात्रा की सिद्धि होती है। यदि प्रयाण काल में गर्दभ अपने दांतों से अपने कन्धे को खुजलाता हो तो धन की प्राप्ति, सफल मनोरथ और यात्रा में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। यदि संभोग करता हुआ गर्दभ दिखलाई पड़े तो स्त्रीलाभ, युद्ध करता हुआ दिखलाई पड़े तो वध-बंधन एवं देह या कान को फटफटाता हुआ दिखलाई पड़े तो कार्य नाश होता है । खच्चर का विचार भी गर्दभ के विचार के समान ही है।
वृषभ विचार-प्रयाण काल में वृषभ बायीं ओर शब्द करे तो हानि, दाहिनी ओर शब्द करे और सींगों से पृथ्वी को खोदे तो शुभ; घोर शब्द करता हुआ साथसाथ चले तो विजय एवं दक्षिण की ओर गमन करता हुआ दिखलाई पड़े तो मनोरथ सिद्धि होती है । बैल या सौड़ बायीं ओर आकर बायीं सींग से पृथ्वी को खोदे, बायीं करवट लेटा हुआ दिखलाई पड़े तो अशुभ होता है । यात्रा काल में बैल या साँड़ का बायीं ओर आना भी अशुभ कहा गया है। ____ महिष विचार-दो महिष सामने लड़ते हुए दिखलाई पड़ें तो अशुभ, विवाद कलह और युद्ध की सूचना देते हैं । महिष का दाहिनी ओर रहना, दाहिने सींग से या दाहिनी ओर स्थित होकर दोनों सींगों से मिट्टी का खोदना यात्रा में विजय कारक है । बैल और महिष दोनों की छींक यात्रा के लिए वर्जित है। ___ गाय विचार-गभिणी गाय, गर्भिणी भैंस और गर्भिणी बकरी का यात्रा काल में सम्मुख या दाहिनी ओर आना शुभ है। रंभाती हुई गाय सामने आये और बच्चे को दूध पिला रही हो तो यात्रा काल में अत्यधिक शुभ माना जाता है । जिस गाय का दूध दुहा जा रहा हो, वह भी यात्रा काल में शुभ होती है। रंभाती हुई, बच्चे को देखने के लिए उत्सुक, हर्षयुक्त गाय का प्रयाण काल में दिखलाई पड़ना शुभ होता है।
विडाल विचार—यात्रा काल में बिल्ली रोती हुई, लड़ती हुई, छींकती हुई