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अष्टादशोऽध्यायः
गति प्रवासमुदयं वर्ण ग्रहसमागमम् ।
बुधस्य सम्प्रवक्ष्यामि फलानि च निबोधत ॥॥ बुध के प्रवास-अस्त, उदय, वर्ण, ग्रहयोग का वर्णन करता हूँ, उनका फल निम्न प्रकार अवगत करना चाहिए ।।1।।
सौम्या विमिश्रा: संक्षिप्तास्तीवा घोरास्तथैव च।
दुर्गावगतयो ज्ञेया बुधस्य च विचक्षणः ॥2॥ सौम्या, विमिश्रा, संक्षिप्ता, तीव्रा, घोरा, दुर्गा और पापा ये सात प्रकार की बुध की गतियाँ विद्वानों ने बतलायी हैं ।।2।।
सौम्यां गति समुत्थाय पत्रिपक्षाद दश्यते बुधः। विमिश्रायां गतौ पक्षे संक्षिप्तायां षडूनके ॥3॥ तीक्ष्णायां दशरात्रेण घोरायां तु षडाह्निके।
पापिकायां त्रिरात्रेण दुर्गायां सम्यगक्षये ॥4॥ सौम्या गति में बुध तीन पक्ष अर्थात् 45 दिन तक देखा जाता है । विमिश्रा गति में दो पक्ष अर्थात् तीस दिन, संक्षिप्ता गति में चौबीस दिन, तीक्ष्णा गति में दस रात, घोरा में छः दिन, पापा गति में तीन रात और दुर्गा में नौ दिन तक बुध दिखलाई पड़ता है । तात्पर्य यह है कि बुध की सौम्यगति 45 दिन, विमिश्रा 30 दिन, संक्षिप्ता 24 दिन, तीक्ष्णा या तीव्रा 10 दिन, घोरा 6 दिन, पापा 3 दिन और दुर्गा 9 दिन तक रहती है ।।3-411
सौम्याः विमिश्राः संक्षिप्ता बुधस्य गतयो हिताः।
शेषाः पापा: समाख्याता विशेषेणोत्तरोत्तरा:॥5॥ बुध की सौम्या, विमिश्रा और संक्षिप्ता गतियाँ हितकारी हैं, शेष सभी गतियाँ पाप गति कहलाती हैं तथा विशेष रूप से उत्तर-उत्तर की गतियाँ पाप हैं ॥5॥
नक्षत्रं शकवाहेन जहाति समचारताम् ।
एषोऽपि नियतश्चारो भयं कुर्यादतोऽन्यथा ॥6॥ ___ यदि बुध समान रूप से गमन करता हुआ शक वाहन के द्वारा स्वाभाविक गति से नक्षत्र का त्याग करे तो यह बुध का नियतचार कहलाता है, इसके विपरीत गमन करने से भय होता है ।।6।।
1. त्रिपक्षे मु० । 2. समाचारतः मु० ।