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नवमोऽध्यायः
119 सन्ध्या समय तीन घंटे तक पश्चिमीय वायु चलता रहे तो निश्चयतः उस नगर, देश या राष्ट्र का विकास होता है। जनता में परस्पर प्रेम बढ़ता है, धन-धान्य की वृद्धि होती है और उस देश का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ता है। व्यापारिक उन्नति होती है तथा शान्ति और सुख का अनुभव होता है। उक्त तिथि को दक्षिणी वायु चले तो उस क्षेत्र में अत्यन्त भय, उपद्रव, कलह और माहमारी का प्रकोप होता है । आपसी कलह के कारण आन्तरिक झगड़े बढ़ते जाते हैं और सुखशान्ति दूर होती जाती है । मान्य नेताओं में मतभेद बढ़ता है, सैनिक शक्ति क्षीण होती है। देश में नये-नये करों की वृद्धि होती है और गुप्त रोगों की उत्पत्ति भी होती है। यदि रविवार के दिन अपसव्य मार्ग से दक्षिणीय वायु चले तो घोर उपद्रवों की सूचना मिलती है। नगर में शीतला और हैजे का प्रकोप होता है। जनता अनेक प्रकार का त्रास उठाती है, भयंकर भूकम्प होने की सूचना भी इसी प्रकार के वायु से समझनी चाहिए। यदि अर्धरात्रि में दक्षिणीय वायु शब्द करता हुआ बहे तो इसका फलादेश समस्त राष्ट्र के लिए हानिकारक होता है । राष्ट्र को आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है तथा राष्ट्र के सम्मान का भी ह्रास होता है । देश में किसी महान् व्यक्ति की मृत्यु से अपूरणीय क्षति होती है। यदि यही वायु प्रदक्षिणा करता हुआ अनुलोम गति से प्रवाहित हो तो राष्ट्र को साधारण क्षति उठानी पड़ती है । स्निग्ध, मन्द, सुगन्ध दक्षिणीय वायु भी अच्छा होता है तथा राष्ट्र में सुख-शान्ति उत्पन्न कराता है। मंगलवार को दक्षिणीय वायु सायं-सायं का शब्द करता हुआ चले और एक प्रकार की दुर्गन्ध आती हो तो राष्ट्र और देश के लिए चार महीनों तक अनिष्ट सूचक होता है । इस प्रकार के वायु से राष्ट्र को अनेक प्रकार के संकट सहन करने पड़ते हैं। अनेक स्थानों पर उपद्रव होते हैं, जिससे प्रशासकों को महती कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। देश के खनिज पदार्थों की उपज कम होती है और वनों में अग्नि लग जाती है, जिससे देश का धन नष्ट हो जाता है । शनिवार की आपाढ़ी पूर्णिमा को दक्षिणीय वायु चले तो देश को अनेक प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं । जिस प्रदेश में इस प्रकार का वायु चलता है उस प्रदेश के सौ-सौ कोश चारों ओर अग्नि-प्रकोप होता है । आषाढी पूर्णिमा को पूर्वीय वायु चले तो देश में सुख-शान्ति होती है तथा सभी प्रकार की शक्ति बढ़ती है । वन, खनिज पदार्थ, कल-कारखाने आदि की उन्नति होने का सुन्दर अवसर आता है । सोमवार को यदि पूर्वीय हवा प्रातःकाल से मध्याह्नकाल तक लगातार चलती रहे और हवा में से सुगन्धि आती हो तो देश का भविष्य उज्ज्वल होता है । सभी प्रकार से देश की समृद्धि होती है। नये-नये नेताओं का नाम होता है, राजनीतिक प्रमुख बढ़ता जाता है, सैनिक शक्ति का भी विकास होता है। यदि थोड़ी वर्षा के साथ उक्त प्रकार की हवा चले तो देश में एक वर्ष तक आनन्दोत्सव होते रहते हैं, सभी प्रकार का अभ्युदय बढ़ता है । शिक्षा