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दशमोऽध्यायः सन्ध्या काल में उत्तरीय हवा चलने लगे तो लगभग एक वर्ष तक अनाज सस्ता रहता है, केवल आश्विन मास में अनाज महगा होता है, अवशेष सभी महीनों में अनाज सस्ता ही रहता है । सोना, चाँदी और अभ्रक का भाव आश्विन से माघ तक सस्ता तथा फाल्गुन से ज्येष्ठ तक मंहगा रहता है । व्यापारियों को कुछ लाभ ही रहता है । उक्त प्रकार के वायु निमित्त से व्यापारियों के लिए शुभ फलादेश ही समझा जाता है। यदि इस दिन सन्ध्या काल में वर्षा के साथ उत्तरीय हवा चले तो अगले दिन से ही अनाज मंहगा होने लगता है। उपयोग और विलास की सभी वस्तुओं के मूल में वृद्धि हो जाती है, विशेष रूप से आभूषणों के मूल्य भी बढ़ जाते हैं। जूट, सन, मूंज आदि का भाव भी बढ़ता है। रेशम की कीमत पहले से डेढ़ गुनी हो जाती है। काले रंग की प्रायः सभी वस्तुओं के भाव सम रहते हैं । हरे, लाल और पीले रंग की वस्तुओं का मूल्य वृद्धिगत होता है। श्वेत रंग के पदार्थों का मल्य सम रहता है । यदि उक्त तिथि को ठीक दोपहर के समय पश्चिमीय वायु चले तो सभी वस्तुओं का भाव सस्ता रहता है। फिर भी व्यापारियों के लिए यह निमित्त अशुभ सूचक नहीं; उन्हें लाभ होता है । यदि श्रावणी पूर्णिमा को प्रातःकाल वर्षा हो और दक्षिणीय वायु भी चले तो अगले दिन से ही सभी वस्तुओं की मंहगाई समझ लेनी चाहिए । इस प्रकार के निमित्त का प्रधान फलादेश खाद्य .पदार्थों के मूल्य में वृद्धि होना है। खनिज धातुओं के मूल्य में भी वृद्धि होती है, पर थोड़े दिनों के उपरान्त उनका भाव भी नीचे उतर आता है। यदि उक्त तिथि को पूरे दिन एक ही प्रकार की हवा चलती रहे तो वस्तुओं के भाव सस्ते और हवा बदलती रहे तो वस्तुओं के भाव ऊँचे उठते हैं । विशेषतः मध्याह्न और मध्यरात्रि में जिस प्रकार की हवा हो, वैसा ही फल समझना चाहिए । पूर्वीय और उत्तरीय हवा से वस्तुएँ सस्ती और पश्चिमीय और दक्षिणीय हवा के चलने से वस्तुएं मॅहगी होती हैं ।
दशमोऽध्यायः
अथातः सम्प्रवक्ष्यामि प्रवर्षणं निबोधत।
प्रशस्तमप्रशस्तं च यथावदनुपूर्वतः ॥1॥ अब प्रवर्षण का वर्णन किया जाता है । यह भी पूर्व की तरह प्रशस्त-शुभ 1. मेघवर्ष आ०, प्रवर्षन्तं मु० A. D.। 2. अनु पूर्वश: मु० ।