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भद्रबाहुसंहिता
यदि उपर्युक्त आकृति और लक्षणवाले मेघ युद्धस्थल में स्थित सेना पर बहुत वर्षा करें तो सेना और उसके नायक सभी मारे जाते हैं ||20||
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रक्तेः पांशुः सधूमं वा क्षौद्र" केशाऽस्थिशर्कराः । मेघाः वर्षन्ति विषये यस्य राज्ञो हतस्तु सः ॥21॥
धूलि, धूम्र, मधु, केश, अस्थि और खांड के समान लाल वर्ण के मेघ वर्षा करें तो देश का राजा मारा जाता है ॥21॥
क्षारं वा कटुकं वाऽथ 'दुर्गन्धं 'सस्यनाशनम् । यस्मिन् देशेऽभिवर्षन्ति मेघा देशो' विनश्यति' ॥22॥
जिस देश में धान्य को नाश करनेवाले क्षार - लवणयुक्त, कटुक - चरपरे रस और दुर्गन्धित रस की मेघ वर्षा करें तो उस देश का नाश होता है || 22 प्रयात' पार्थिवं यत्र मेघो वित्रास्य वर्षात । विवस्तो बध्यते राजा विपरीतस्तदाऽपरे ॥23॥
राजा के प्रयाण के समय त्रासयुक्त मेघ बरसे तो राजा का त्रासयुक्त वध होता है | यदि त्रासयुक्त वर्षा न हो तो ऐसा नहीं होता ||23||
सर्वत्रैव प्रयाणेन नृपो येनाभिषिच्यते । रुधिरादि'- विशेषेण सर्वघाताय निर्दिशेत् ॥ 241
राजा के आक्रमण के समय वर्षा से देश का सिंचन हो तो सबों के घात की सम्भावना समझनी चाहिए ॥24॥
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मेघाः सविद्युतश्चैव' सुगन्धाः सुस्वराश्च ये । सुवेषाश्च" सुवाताश्च' "सुधियाश्च सुभिक्षदाः ॥25॥
बिजली सहित, सुगन्धित, मधुर स्वर वाले, सुन्दर वर्ण और आकृति वाले, शुभ घोषणा वाले और अमृत समान वर्षा करने वाले मेघों को सुभिक्ष का सूचक समझना चाहिए || 2 5।।
अभ्राणां यानि रूपाणि सन्ध्यायामपि यानि च । मेघेषु" तानि सर्वाणि समासव्यासतो विदुः ॥26॥
1. रौद्र ं मु० B. । 2. स्नर्करा मु० B. 13. दूरं मु० B. । 4. यस्या मु० A. । 5. मेघादेशे । 6. विनश्यन्ति मु० C. । 7. प्रयान्तं मु० । 8. नृप सरुधिराज्यं च मु० A. B. D. 19. सौक्या मु० C. 10. सुरभा मु० C. 11. अवैषा मु० C. । 12. सुवेषा मु० C. 13. सुधी पार्श्व मू० B. सुधाया मु० D. स्वसना मु० C. 14. अमेघे मु० C. ।