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भद्रबाहुसंहिता
परिमाण में उपलब्ध होती हैं । वस्त्र के भाव साधारण रूप से कुछ ऊंचे चढ़ते हैं। स्निग्ध, श्वेत और मनोहर आकृति वाले मेघ जनता में शान्ति, सुख, लाभ और हर्ष सूचक होते हैं। व्यापारियों को वस्तुओं में साधारणतया लाभ होता है। ग्रीष्म ऋतु के अवशेष महीनों में सजल मेघ जहाँ दिखलाई पड़ें उस प्रदेश में दुभिक्ष, अन्न की फसल की कमी, जनता को आर्थिक कप्ट एवं आपस में मनमुटाव उत्पन्न होता है। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के मेघ साधारणतया जनता में उल्लास, आगामी खेती का विकास और सुभिक्ष की सूचना देते हैं। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को वर्षा करने वाले मेघ जिस क्षेत्र में दिखलाई पड़ें उस क्षेत्र में आर्थिक संकट रहता है । हैजा और चेचक की बीमारी विशेष रूप से फैलती है। यदि इस दिन रक्त वर्ण के मेघ आकाश में संघर्ष करते हुए दिखलाई पड़ें तो वहां सामाजिक संघर्ष होता है। चैत्र शुक्ला प्रतिपदा को भी मेघों की स्थिति का विचार किया जाता है। यदि इस दिन गर्जन-तर्जन करते हुए मेघ आकाश में बूंदा-बूंदी करें तो उस प्रदेश के लिए भयदायक समझना चाहिए। फसल की उत्पत्ति भी नहीं होती है तथा जनता में परस्पर संघर्ष होता है । चैत्री पूर्णिमा को पीतवर्ण के मेघ आकाश में घूमते हुए दिखलाई पड़ें तो आगामी वर्ष उस प्रदेश में फसल की क्षति होती है तथा पन्द्रह दिनों तक अन्न का भाव महंगा रहता है । सोना और चाँदी के भाव में घटा-बढ़ी होती है।
शरद् ऋतु के मेघ वर्षा और सुभिक्ष के साथ उस स्थान की आर्थिक और सामाजिक उन्नति-अवनति की भी सूचना देते हैं। यदि कार्तिक की पूर्णिमा को मेघ वर्षा करें तो उस प्रदेश की आर्थिक स्थिति दढ़तर होती है, फसल भी उत्तम होती है तथा समाज में शान्ति रहती है। पशुधन की वृद्धि होती है, दूध और घी की उत्पत्ति प्रचुर परिमाण में होती है। उस प्रदेश के व्यापारियों को भी अच्छा लाभ होता है । जो व्यक्ति कार्तिकी पूर्णिमा को नील रंग के बादलों को देखता है, उसके उदर में भयंकर पीड़ा तीन महीनों के भीतर होती है। पीत वर्ण के मेघ उक्त दिन को दिखलाई पड़ें तो किसी स्थान विशेष से आर्थिक लाभ होता है । श्वेत वर्ण के मेघ के दर्शन से व्यक्ति को सभी प्रकार के लाभ होते हैं। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण प्रतिपदा को प्रातःकाल वर्षा करने वाले मेघ गोधूम वर्ण के दिखलाई पड़ें तो उस प्रदेश में महामारी की सूचना अवगत करनी चाहिए। इस दिन कोई व्यक्ति स्निग्ध और सौम्य मेघों का दर्शन करे तो अपार लाभ, रूक्ष और विकृत वर्ण के मेघों का दर्शन करे तो आर्थिक क्षति होती है। उक्त प्रकार के मेघ वर्षा की भी सूचना देते हैं । आगामी वर्ष में उस प्रदेश में फसल अच्छी होती है । विशेषत: गन्ना, कपास, धान, गेहूं, चना और तिलहन की उपज अधिक होती है । व्यापारियों के लिए उक्त प्रकार के मेघ का दर्शन लाभप्रद होता है। मार्गशीर्ष