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षष्ठोऽध्यायः
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है। वर्षा भी समय पर होती है, जिससे कृषि बहुत ही उत्तम होती है । यदि उक्त तिथि को गुरुवार और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का योग हो और दक्षिण से बादल गर्जना करते हुए एकत्र हों तो आगामी आश्विन मास में उत्तम वर्षा होती है तथा फसल भी साधारणतः अच्छी होती है।
ज्येष्ठ शुक्ला अष्टमी को रविवार या सोमवार दिन हो और इस दिन पश्चिम की ओर पर्वताकृति बादल दिखलाई पड़ें तो आगामी वर्ष के शुभ होने की सूचना देते हैं । पुष्य, मघा और पूर्वा फाल्गुनी इन नक्षत्रों में से कोई भी नक्षत्र उस दिन हो तो लोहा, इस्पात तथा इनसे बनी समस्त वस्तुएं महंगी होती हैं। जूट का बाजार भाव अस्थिर रहता है। तथा आगामी वर्ष में अन्न की उपज भी कम ही होती है। देश में गोधन और पशुधन का विनाश होता है। यदि उक्त नक्षत्रों के साथ गुरुवार का योग हो तो आगामी वर्ष सब प्रकार से सुखपूर्वक व्यतीत होता है। वर्षा प्रचुर परिमाण में होती है । कृषक वर्ग को सभी प्रकार से शान्ति मिलती है।
ज्येष्ठ शुक्ला नवमी शनिवार को यदि आश्लेषा, विशाखा और अनुराधा में से कोई भी नक्षत्र हो तो इस दिन मेघों का आकाश में व्याप्त होना साधारण वर्षा का सूचक है। साथ ही इन मेघों से माघ मास में जल के बरसने की भी सूचना मिलती है। जौ, धान, चना, मूंग और बाजरा की उत्पत्ति अधिक होती है। गेहूं का अभाव रहता है या स्वल्प परिमाण में उत्पादन होता है। ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को रविवार या मंगलवार हो और इस दिन ज्येष्ठ या अनुराधा नक्षत्र हो तो आगामी वर्ष में श्रेष्ठ फसल होने की सूचना समझनी चाहिए। तिल, तैल, घी और तिलहनों का भाव महँगा होता है तथा घृत में विशेष लाभ होता है। उक्त प्रकार का मेघ व्यापारी वर्ग के लिए भयदायक है तथा आगामी वर्ष में उत्पातों की सूचना देता है।
ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी को उतर दिशा की ओर सिंह, व्याघ्र के आकार में बादल छा जाये तो आगामी वर्ष के लिए अनिष्टप्रद समझना चाहिए। इस प्रकार की मेघस्थिति पौष या माघ मास में देश के किसी नेता की मृत्यु भी सूचित करती है। वर्षा और कृषि के लिए उक्त प्रकार की मेघस्थिति अत्यन्त अनिष्टकारक है । अन्न और जूट की फसल सामान्य रूप से अच्छी नहीं होती। कपास और गन्ने की फसल अच्छी ही होती है। यदि उक्त तिथि को गुरुवार हो तो इस प्रकार की मेघस्थिति द्विज लोगों में भय उत्पन्न करती है तथा देश में अधार्मिक वातावरण उपस्थित करने का कारण बनती है।
ज्येष्ठ शुक्ला द्वादशी को बुधवार हो और इस दिन पश्चिम दिशा में सुन्दर और सौम्य आकार में बादल आकाश में छा जावें तो आगामी वर्ष में अच्छी वर्षा