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भद्रबाहुसंहिता
और रासायनिक क्रिया से मिलकर अपने गुरुत्व के अनुसार नीचे गिरता है ।
(2) उल्का के समस्त प्रस्तर पहले आग्नेय गिरि से निकल अपनी गति के अनुसार आकाश मण्डल पर बहुत दूर पर्यन्त चढ़ते हैं और अवशेष में पुनः प्रबल वेग से पृथ्वी पर गिर पड़ते हैं ।
( 3 ) किसी-किसी समय चन्द्रमण्डल के निकलता है कि पृथ्वी के निकट आ लगता नीचे गिर पड़ता है ।
है
आग्नेय गिरि से इतने वेग में धातु और पृथ्वी की शक्ति से खिंचकर
(4) समस्त उल्काएं उपग्रह हैं । ये सूर्य के चारों ओर अपने-अपने कक्ष में घूमती हैं । इनमें सूर्य जैसा आलोक रहता है । पवन से अभिभूत होकर उल्काएँ पृथ्वी पर पतित होती हैं । उल्काएं अनेक आकार - प्रकार की होती हैं ।
आचार्य ने यहाँ पर देदीप्यमान नक्षत्र-पुञ्जों की उल्का संज्ञा दी है, ये नक्षत्रपुञ्ज निमित्तसूचक हैं । इनके पतन के आकार-प्रकार, दीप्ति, दिशा आदि से शुभाशुभ का विचार किया जाता है । द्वितीय अध्याय में इसके फलादेश का निरूपण किया जायगा ।
परिवेष - "परितो विष्यते व्याप्यतेऽनेन” अर्थात् चारों ओर से व्याप्त होकर मण्डलाकार हो जाना परिवेष है । यह शब्द विष् धातु से घञ, प्रत्यय कर देने पर निष्पन्न होता है । इस शब्द का तात्पर्यार्थ यह है कि सूर्य या चन्द्र की किरणें जब वायु द्वारा मण्डलीभूत हो जाती हैं तब आकाश में नानावर्ण आकृति विशिष्ट मण्डल बन जाता है, इसी को परिवेष कहते हैं । यह परिवेष रक्त, नील, पीत, कृष्ण, हरित आदि विभिन्न रंगों का होता है और इसका फलादेश भी इन्हीं रंगों के अनुसार होता है ।
विद्युत् –“विशेषेण द्योतते इति विद्यत्" । द्यत् धातु से क्विप् प्रत्यय करने पर विद्यत् शब्द बनता है । इसका अर्थ है बिजली, तडित्, शम्पा, सौदामिनी आदि । विद्युत् के वर्ण की अपेक्षा से चार भेद माने गये हैं—कपिला, अतिलोहिता, सिता और पीता । कपिल वर्ण की विद्यत् होने से वायु, लोहित वर्ण की होन से आतप, पीत वर्ण की होने से वर्षण और सित वर्ण की होने से दुर्भिक्ष होता है । विद्य दुत्पत्ति का एक मात्र कारण मेघ है । समुद्र और स्थल भाग की ऊपरवाली वायु तडित् उत्पन्न करने में असमर्थ है, किन्तु जल के वाष्पीभूत होते ही उसमें विद्य ुत् उत्पन्न हो जाती है। आचार्य ने इस ग्रन्थ में में विद्युत् द्वारा विशेष फलादेश का निरूपण किया है ।
अभ्र - - आकाश के रूप-रंग, आकृति आदि के द्वारा फलाफल का निरूपण करना अभ्र के अन्तर्गत है । अभ्र शब्द का अर्थ गगन है । दिग्दाह - दिशाओं की