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प्रयाण के समय अन्य विचारणीय बातें
राज्य, धर्मोत्सव, कार्यसिद्धि के निमित्तों का निरूपण
विवेचन
चौदहवाँ अध्याय
उत्पातों के निरूपण की प्रतिज्ञा
भद्रबाहुसंहिता
उत्पात का लक्षण और भेद
ऋतुओं के उत्पातों का फलादेश
पशु-पक्षियों के विपरीत आचरण का फल
विकृत सन्तानोपत्ति का फल
मद्य, रुधिर आदि बरसने का फल
सरीसृप, मेंढक आदि बरसने का फल
बिना ईंधन अग्नि के प्रज्वलित होने का फल
वृक्षों से रस चूने, गिरने, वस्त्रवेष्टित होने तथा अन्य प्रकार की
विकृतियों का विचार
देवों के हँसने, रोने, नृत्य करने आदि का फल
नदियों के हँसने-रोने आदि प्रकृति का विचार अस्त्र-शस्त्रों के शब्दों का फल
बिना बजाये वादित्रों का फल
आकाश से अकारण घोर शब्द सुनने का फल
भूमि के अकारण निर्धातित होने तथा वृक्षों के अकारण हरे हो जाने
का फल
चींटियों की क्रिया अनुसार फल- विचार
राजा के छत्र, चंवर, मुकुट आदि उपकरण तथा हाथी, घोड़ा आदि वाहनों के भंग होने का फल
असमय में पीपल के वृक्ष के पुष्पित होने का फल
इन्द्रधनुष के भग्न आदि होने का फल
चन्द्रोत्पातों का फलादेश
शिव, वरुण आदि प्रतिमाओं एवं उपकरणों के उत्पातों का फल
सन्ध्याकाल में कबन्ध-दर्शन का फल
सूर्य के वर्ण के अनुसार फलादेश चन्द्रोपात का विचार ग्रहों के परस्पर भेदन का विचार ग्रह-युद्ध और ग्रहोत्पात का कथन
देवों की हँसने, नर्तन आदि क्रियाओं का विचार
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