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मात्र प्रकृति को ही निहारते... १२७ खुला प्रकृति का विज्ञान... १३५ वह है अंतिम प्रकार की... १३०
[२.१] द्रव्यकर्म त्रिकर्म से बंधे हुए हैं जीव १३७ चश्मे की वजह से दिखता... १३९ द्रव्यकर्म विभक्त हुए आठ... १३७ आठ कर्म क्या हैं?
१४१ चश्मे से खड़ी हो गई भ्रांति १३९ द्रव्यकर्म अर्थात् संचितकर्म
[२.२] ज्ञानावरण कर्म द्रव्यकर्म का उदाहरण १४३ धर्मस्थान पर बल्कि बढ़े... १४५ जो ज्ञान को प्रकट न होने दे... १४३ वही सब से बड़ा ज्ञानावरण १४६ ज्ञानावरण बाधक है ऐसे १४४ फर्क, अज्ञान और ज्ञानावरण में १४७ उल्टी समझ से चल रहा है.. १४५
[२.३] दर्शनावरण कर्म ऐसे बने ये दोनों (कर्म) १४९ अंत में होता है दर्शन निरावरण १५२ सूझ, ही दर्शन है
१५१ ज्ञानविधि से खत्म दर्शनावरणीय १५३
[२.४] मोहनीय कर्म पोतापणां मानना, वही मोहनीय.. १५५ भरे हुए भारी मोहनीय... १५९ मोहनीय कर्म से भूला खुद... १५५ वह है अनंत कर्मों में,अफसर... १५९ मूल कारण है मोह १५७ भेद, दर्शनावरण और दर्शन... १६१ जो मूर्छित करे, वह मोह १५८ अक्रम में चार्ज कर्म कितना? १६६
[२.५ ] अंतराय कर्म चीजें हैं फिर भी नहीं भोगी... १६७ अंतराय, परेशान करते हैं ऐसे १८८ ऐसे डाले अंतराय
१६७ मोक्षमार्ग में अंतराय इस तरह १९० अंतराय डालते ही करो... १६८ करुणाभाव जगत् कल्याण का १९३ आवरण और अंतराय १७० ज्ञानी से मिलने के भारी... १९३ खाने के अंतराय पड़ते हैं इससे १७० प्रतिक्रमण, अतंराय के... अक़्ल के अहंकार से पड़ें... १७३ डलते हैं ऐसे अंतराय... खुद ब्रह्मांड का मालिक है... १७५ वर्तन के अंतराय
१९७ अंतराय, इलाज करने में या... १७६ अंतराय टूटने से प्राप्ति ज्ञान की १९८ दादा के बहरेपन का रहस्य १७८ नहीं तोड़नी चाहिए मूर्ति... १९८ भोग-उपभोग के अंतराय १७९ निश्चय से टूटे धागे अंतराय के १९९ लाभांतराय
१८० सत्संग के अंतराय
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