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कहता है 'चार दिन हो गए दवाई लगा रहा हूँ' 'क्यों कुछ....?' तब कहते हैं अभी कुछ पता नहीं चल रहा है।' यानी दवाई लगाता है। वह क्या करता है? जब तक वह 'देखता' है लेकिन 'जानता' नहीं है, तब तक वह दर्शन है। अभी तक अनुभव में नहीं आया कि उससे इसे क्या फायदा हुआ और फिर पाँचवे दिन कहेगा कि, 'आज मुझे टीस बार-बार उठनेवाला दर्द कम हो गई हैं।' वह इसलिए कि उस ज्ञान का अनुभव हुआ।
देखा और जाना, दोनों रिलेटिव प्रश्नकर्ता : इन दोनों में रियल-रिलेटिव कौन सा है? 'देखा' वह रिलेटिव के आधार पर जाना और 'जानना' वह भी रिलेटिव के आधार पर
दादाश्री : ये दोनों ही रिलेटिव हैं। दोनों रिलेटिव के आधार पर हैं। सभी सापेक्ष चीजें रिलेटिव हैं। आत्मा के अलावा और कोई वस्तु निरपेक्ष है ही नहीं। सभी कुछ रिलेटिव और वह भी विनाशी।
प्रश्नकर्ता : अर्थात् सापेक्ष के आधार पर 'देखा' और 'जाना' वह तो विनाशी हुआ न?
दादाश्री : वह सब विनाशी।
प्रश्नकर्ता : अब इन सब को जिसने विनाशी समझा, वह? यह जो ऐसा समझ में आया, वह कौन सा ज्ञान है?
दादाश्री : ऐसी जो समझ उत्पन्न हुई वह केवलज्ञान के निकट है। वह केवलज्ञान के पक्ष में है। अतः ऐसी समझ से मूल ज्ञान के, परमानेन्ट ज्ञान के, निरपेक्ष ज्ञान के पक्ष में आता है।
अंत में तो यह सब एक ही प्रश्नकर्ता : अर्थात् जो दृष्टा है वही ज्ञाता बन जाता है, जब डिसाइडेड हो जाता है तब?
दादाश्री : ज्ञाता-दृष्टा दोनों एक ही है, खुद ही। डिसाइडेड हो जाता