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आप्तवाणी-१३ (पूर्वार्ध)
लोग कौन सी बुद्धि पर खेल रहे हैं। वहाँ पर जाना तय है। और वह भी फिर मुद्दत पूरी करके नहीं। पैंतालीस साल का, पचास साल का होने पर क्या होता है? तब कहते हैं कि 'भाई को हार्ट फेल हो गया है!' नहीं तो यहाँ पर पर टूट जाती हैं न नसें, हेमरेज हो जाता है। मैं तो हेमरेज को पहले ऐसा समझता था कि ऊपर से घन मारकर तोड़ देते हैं। ये तो हेमर (हथौड़ा) शब्द आया न इसमें, उस कारण से मुझे ऐसा लगा था कि इसीलिए ऐसा कहते होंगे कि सिर में हेमरेज हो गया।
इतने अधिक भय में जीने का ठिकाना नहीं है। आयुष्य बढ़ाने का नियम नहीं है। आयुष्य घटाने के नियम बहुत सारे हैं और उसमें भी ये सारे लोभ और लालच।
प्रश्नकर्ता : पहले की बजाय आयुष्य बढ़ा है क्या?
दादाश्री : पहले की बजाय, कुछ समय पहले की आप जो बात कर रहे हो, सौ-दौ सौ साल पहले की, तब वे लोग क्या कहते थे कि पहले आयुष्य ज्यादा था और अब कम हो गया है। अभी लोग क्या कहते हैं, पहले आयुष्य कम था और अब बढ़ गया है। ऐसे कम-ज्यादा, कम-ज्यादा होता रहता है। इसमें आयुष्य सौ साल से ज़्यादा कभी गया ही नहीं है। सामान्य रूप से फिर दो-पाँच लोग सवा सौ साल तक जीते हैं, वह अलग बात है लेकिन सौ साल से आगे कोई नहीं गया है।
प्रश्नकर्ता : समाधि योग करने से आयुष्य बढ़ता है या कम होता है?
दादाश्री : हाँ, समाधि योग से तो आयुष्य बहुत बढ़ता है लेकिन समाधि किसे कहते हैं? व्यवहार में रहने के बावजूद समाधि रहनी चाहिए।
अपने एक महात्मा हैं, वे बिल्कुल ऐसे हो गए थे कि समझों अब गए, तब गए। मृत्यु भी देखी। आयुष्य डोर होती है न, उस पर लोड रखा हो फिर भी नहीं टूटती। टूट न जाए उतना लोड होना चाहिए और उस पर यदि एक आधा रतल (२२७ ग्राम) ज़्यादा रखने जाएँ तो टूट जाएगी। यह तो अंदर ज्ञान था, इसलिए बच गए। आत्म शक्ति वहाँ खड़ी रहती है न,