________________
२५४
आप्तवाणी-१३ (पूर्वार्ध)
है, तब तक नहीं बंधता। वह तो एक क्रम रखा हुआ है, अच्छा क्रम रखा हुआ है। वह किसलिए है कि भाई, 'अब चालीस साल का हो गया, अब सीधा रह न, नहीं तो न जाने कहाँ जाएगा जानवर में! ताकि अंतिम बीस साल अच्छी तरह से बिताए। इसलिए लिखा है और बात सही है, बात गलत भी नहीं है, बनावट नहीं है। तीर्थंकरों की यह बात सही है। सावधान किया है कि अभी तक पड़े रहे हैं मोह में ही लेकिन अब ज़रा सीधा हो जा। वर्ना आयुष्य कर्म तो निरंतर बंधता ही रहता है।
नियम आयुष्य बंध का प्रश्नकर्ता : आयुष्य का बंध पड़ने के बाद में ही अगले जन्म का अवतार तय होता है?
दादाश्री : आयुष्य का बंध तो ऐसा है न कि मान लो एक व्यक्ति का इक्यासी साल का आयुष्य है। सपोज़ (मान लीजिए) कोई व्यक्ति इक्यासी साल तक जीनेवाला है, तो वीतरागों के मत से क्या कहा जाता है? उसने चौवन साल तक चाहे कुछ भी किया हो, पागलपन किए हों, तब तक का समय भटकने में, उल्टे-सीधे कामों में गुज़ारा हो, तब भी उसका कोई हिसाब करनेवाला नहीं है। कुछ भी किया होगा लेकिन वह सब चला जाएगा। लेकिन यदि अंतिम सत्ताइस साल सीधी तरह से निकाल दिए तो काम हो जाएगा। क्योंकि वहाँ पर अंतिम सत्ताइस सालों का अधिक जमा होता है। उससे पहले का सबकुछ खत्म हो जाता है।
___ अत: चौवन साल के बाद उसे सावधान हो जाना चाहिए कि अब आयुष्य बंधन का समय हो गया है। चौवन साल की उम्र में आयुष्य बंधेगा ही। अभी तक भाई ने क्या किया? चौवन साल का सार आता है और उस घड़ी कोई बीमारी आ जाएगी और आयुष्य का बंध पड़ेगा। बीमारी नहीं होगी तो भी आयुष्य का बंध पड़ेगा और चौवन साल की उम्र में तो उसका पहला फोटो पड़ जाता है। यदि दुनिया में खराब व्यवहार करता है न, तो अंदर उस व्यक्ति का जानवर, भैंस या गाय या गधे का फोटो पड़ जाता है! अंदर उसके प्रतिस्पंदन महसूस होते हैं! अब पहली बार जानवर का