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[२.५] अंतराय कर्म
उसे अंतराय पड़ना कहा जाता है । इस तरह अगर दो जगह पर डाल दिए जाएँ तो और ज़्यादा पानी रुकेगा। तीन जगह पर डालें तो और भी ज़्यादा रुकेगा और अगर बहुत सारे डालें तो पूरा ही रुक जाएगा । और ज्ञानीपुरुष तो खुद निअंतराय पद में रहते हैं । कोई अंतराय ही नहीं । उनके पास बैठने से सभी अंतराय टूट जाते हैं, सिर्फ बैठने से ही । उनके साथ गप्प मारें तो भी !
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