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[२.६] वेदनीय कर्म
शाता-अशाता वेदनीय कितने हुए? प्रश्नकर्ता : चार
दादाश्री : द्रव्यकर्म रूपी मोमबत्ती के चार आवरण हर एक जीव में होते हैं, किसी एकाध जीव में नहीं। जीव मात्र में।
और पाँचवा है वेदनीय। अगर अपनी इच्छा न हो, तब भी अगर एकदम से ठंड हो जाए तो शरीर काँपने लगता है लेकिन फिर भी ठंड भोगनी पड़ती है। और अगर कोई हम पर अंगारा डाल दे तो वेदनीय भोगनी पड़ती है न! क्योंकि जल जाते हैं। इन अस्पतालों में लोग वेदनीय भोगते हैं, देखी है आपने लोगों की वेदनीय?
प्रश्नकर्ता : हाँ, हाँ।
दादाश्री : कितनी? एक ही प्रकार की होती है या अनेक प्रकार की होती है?
प्रश्नकर्ता : कई प्रकार की होती हैं।
दादाश्री : कई प्रकार की और कितनी ही जगह पर कुछ लोग शाता वेदनीय भोगते हैं। जो दःख देती है, वह अशाता वेदनीय कहलाती है। शरीर में किसी भी प्रकार की तकलीफ न हो, आम का रस खा-पीकर फिर सो गए। तब सेठ किसमें हैं? तो कहते हैं 'शाता वेदनीय' में हैं। अभी तक रस से गेस नहीं हुई है इसलिए शाता वेदनीय में हैं सेठ तो, जब गेस होगी